बिट्टू और दुर्गा मां
प्रेमपुर गांव बहुत ही खुशहाल गांव था अपने नाम की तरह ही इसमें रहने वाले सभी लोग एक दूसरे के साथ बहुत ही प्रेम भाव से रहते थे बारिश भी समय पर होती थी जिससे अच्छी फसल हो जय करती थी अगर कोई रोग बीमारी आई भी तो जल्दी ही लोग उससे छुटकारा भी का
(06:19) लेते थे सभी जगह खुशहाली ही खुशहाली थी और इस खुशहाली की वजह थी प्रेमपुर गांव में बना दुर्गा मां का मंदिर उसे मंदिर में दुर्गा मां की भाव मूर्ति थी सभी गांव वासी हर रोज मंदिर जाकर उसे मूर्ति की पूजा किया करते थे एक दिन गांव का मुखिया सबसे कहता है मेरी बात ध्यान से सुनो सालों साल चली ए रही परंपरा के अनुसार इस साल भी हम सब गांव वाले माता के मंदिर में बड़े धूमधाम से भाव जागरण करेंगे मैंने दुर्गा मां के लिए शहर से नए कपड़े भी ऑर्डर कर दिए हैं गांव की महिलाओं द्वारा मां को नया लाल जोड़ा पहनाया जाएगा और उनका श्रृंगार भी
(06:58) किया जाएगा साथ ही उनकी पूजा के लिए हर घर से थोड़ा-थोड़ दूध गी उसे दिन मां को अर्पित किया जाएगा समझे अपने गांव पर दुर्गा मां की विशेष कृपा है इसीलिए सभी उसे रात जाकर दुर्गा मां का जागरण करेंगे जागरण की तारीख आज से ठीक 1 महीने बाद की निकली है अब चिंता मत कीजिए मुखिया जी और साल की तरह इस साल भी हम माता का जगराता बड़े धूमधाम से करेंगे सभी गांव वैसी जागरण वाले दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन जागरण से ठीक 20 दिन पहले की बात है आदि रात का समय था तभी गांव की रहने वाली सबसे बुजुर्ग महिला सावित्री का की अपने हाथ से ढोल पीटी हुई और चिल्लाती
बिट्टू और दुर्गा मां | Hindi Kahaniya | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Pauranik Kahaniya
(07:39) हुई घर से बाहर आई गांव वालों जल्दी बाहर आओ बहुत बड़ा अनर्थ हो गया है उसके बाद कई ने जो लोगों को कहा उसे सुन सभी गांव वाले हैरान र गए देखा वही तुम लोगों को बताया और जब से मैंने ये सपना देखा है तब से मैं भी यही सोच कर परेशान हूं की भला ऐसा कैसे हो सकता है की हमारी दुर्गा मां जंगल के बीचों-बीच बने उसे बरगढ़ के पेड़ के नीचे कैद हो पर हमारी माता काफी शक्तिशाली है चलो माना की वो उसे पेड़ के नीचे कैद है लेकिन वो तो स्वयं भी बाहर ए शक्ति है ना छोटी सी बिट्टू की बात सुनकर सभी सोच में पद गए बेटा वही तो मैं भी का रही हूं
(08:31) लेकिन मां ने कहा है की वो सिर्फ अपने भक्तों के द्वारा ही बाहर ए शक्ति है सभी गांववासी कई की बात को सुनकर हैरान तो थे लेकिन गांव की सबसे बुजुर्ग महिला की बटन को नजर अंदाज भी तो नहीं किया जा सकता था ना इसलिए सभी लोगों ने बिना वक्त गवे इस रात जंगल जा कर वो बरगढ़ का पेड़ कैट डाला और उसके नीचे खुदाई शुरू कर दी 2 घंटे खुदाई करने के बाद जो गांव वालों ने देखा उसे देख सभी हैरान र गए देखा मैं ना कहती थी हमारी दुर्गा मां कैद है इस पेड़ के नीचे सभी लोगों ने देखा तो उनकी आंखों के सामने साक्षात दुर्गा मां थी उनकी 10 भुजाएं थी उनके चेहरे पर एक तेज था और
(09:11) चेहरे पर मुस्कान थी गांव वालों ने उन्हें पालकी में बिताया और जोर-जोर से माता का जयकारा लगाते हुए अपने गांव के मंदिर की और चलती है और सब बोलो जय माता दी सारे बोलो जय माता दी मिलकर बोलो जय माता दी जय माता दी जय माता दी पुष्टि लाकर मंदिर में रख दी तभी दुर्गा मां उनसे बोली मेरे बच्चों तुम लोगों की भक्ति ही मुझे यहां खींच लाई है अब मैं तुम लोगों के बीच ही रहना चाहती हूं और अब जब मैं साक्षात तुम लोगों के सामने ही हूं तो मेरी इस मंदिर में राखी मूर्ति की कोई जरूर नहीं है तुम इसे बेहतर पानी में विसर्जित कर दो और मुझे उसे मूर्ति के स्थान पर विराजमान
(09:50) होने की जगह तो माता की आजा पर लोगों ने उसे सैकड़ो साल पुरानी मूर्ति का विसर्जन कर दिया और साक्षात मां को उसे स्थान पर बिठाकर उनकी पूजा करने लगे फ्रेंड्स से कुछ पहले गतिज घटना ने गांव में भक्ति का एक अलग ही वातावरण लाकर रख दिया था कल तक जो मूर्ति की पूजा करते थे वो अब साक्षात मां की पूजा करते हैं लेकिन माता की स्थापित होने के 2 दिन बाद ही उसे गांव में तरह-तरह की घटनाएं घटना लगी लोगों के बीच प्रेम भाव खत्म होने लगा घरों में चोरियां होने लगी बुजुर्गों का अपमान होने लगा सुनो जी बहुत कर लिया मैंने तुम्हारे बूढ़े मां आप की सेवा अब
(10:28) बस और सेवा पानी नहीं होती मुझे या तो तुम उन्हें कहानी छोड़ आओ नहीं तो मैं तुम्हें छोड़कर जा रही हूं अरे तू क्या मैं खुद इन बुढो से परेशान हो चुका हूं अभी मैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखता हूं बिरजू अपनी कमरे से बाहर जाता है और अपने बूढ़े मां-बाप को धक्के मार कर बाहर निकालना की कोशिश करता है हेलो निकालो अब यहां से बेटा कुछ तो हम पढ़ रहे था अपने बूढ़े मां आप को कौन इस उम्र में घर से बाहर निकलता है आदि रात को हम इस बारिश में कहां जाएंगे मैं कल सुबह तक का वक्त दे दो होते ही हम चले जाएंगे मैं कहती हूं निकालो इनको लात मार कर बाहर
(11:08) यह सिर्फ एक घर की कहानी नहीं थी बल्कि हर घर में यही चल रहा था भाई-भाई से लाड रहा था और बहन बहन से औरतों के साथ जबरदस्ती की जा रही थी लोगों की खेतों में आज लगकर उनकी साड़ी फसल खराब हो रही थी केन का पानी सुख चुका था लेकिन दुर्भाग्य का सिलसिला यही नहीं था मां और लोगों की अचानक मौत तक भी होने लगी एक दिन सरिता की 5 साल की लड़की की अचानक से मौत हो गई है मेरी बच्ची ये क्या हो गया तुझे उठ अपनी मां से बात कर मेरी बच्ची लोगों को कुछ समझ नहीं ए रहा था की आखिर गांव में यह अशुभ घटनाएं हो क्यों रही हैं जबकि अब तो दुर्गा मां साक्षात उनके गांव
(11:49) में विराजमान है छोटे से दुर्गा भक्ति बिट्टू के दिमाग में भी यह बात बार-बार आई थी लेकिन वह मां का ध्यान करता रहा लेकिन एक रोज उसके पापा का भी अचानक निधन हो जाता है [संगीत] पापा अब मेरे साथ कौन खेलेगा उठो ना पापा लेकिन वो नहीं जानता था की अब उसके पापा कभी नहीं उठाएंगे बिट्टू और उसकी मां का रो-रो कर बड़ा हाल था लेकिन गांव का कोई भी व्यक्ति उनका दुख बांटने नहीं आया बिट्टू और उसकी मां ने अकेले ही बिट्टू के पिता को अग्नि थी और उसका अंतिम संस्कार किया रात को बिट्टू जब घर लोटा तो उसको नींद नहीं ए रही थी और वह गुस्से में उठ
(12:24) खड़ा होता है और कहानी जान लगता है तभी उसकी मां बेटा बिट्टू आदि रात को तू कहां जा रहा है मां मैं मंदिर जाकर दुर्गा मां से पूछूंगा की उन्होंने मेरे पापा को मुझे क्यों छीना यह कहकर बिट्टू गुस्से में चला जाता है उसकी मां भी उसके पीछे-पीछे चली जाति है वह दोनों रात को ही माता के मंदिर गए जबकि माता की आजा के अनुसार कोई भी रात को मंदिर नहीं ए सकता था और जो कोई भी ऐसा करेगा उसे माता के क्रोध का शिकार होना पड़ेगा लेकिन उन दोनों को तो जैसे इस बात की परवाह थी नहीं वह दोनों जब मंदिर पहुंचे तो वहां का नजर देख कर थर-थर कांपने लगे वहां माता तो थी ही नहीं बल्कि
(13:01) भयानक राक्षसी थी उसके पांच हाथ और तीन सर थे उसका शरीर भयानक कल रंग का था और बड़े-बड़े नुकीले दांत थे उनको देख राक्षसी बोली कौन हो तुम और उसे वक्त यहां क्यों आए हो पहले आप बताइए आप कौन हैं और हमारी दुर्गा मां का है दुर्गा मां ही हूं तुम्हारी दुर्गा मां अब करो मेरी जय जय कर वो राक्षसी तड़का थी सभी दुर्गा मां की पूजा करते थे इस बात से वो बहुत चढ़ती थी वह चाहती थी की दुर्गा मां की तरह लोग उसकी भी पूजा करें उसने तंत्र मंत्र के विद्या से कई काली शक्तियां हासिल कर राखी थी उसने अपनी शक्तियों से सावित्री के शरीर में प्रवेश किया और लोगों से झूठ कहा
(13:48) की माता बरकत के पेड़ के नीचे कैद है उसने ही ये साड़ी माया रची थी और वही उसे पेड़ के नीचे कैद थी अब मैं इस गांव की माता हूं और अब तुम सबसे मेरी ही जय जयकार करोगे यह सब मेरी ही रची हुई माया थी जिसमें तुम सब बेवकूफ फैंस गए और दुर्गा मां का ध्यान करने लगे तभी वहां जोरदार बिजली खड़की और साक्षात दुर्गा मां प्रकट हुई जय दुर्गा मां जय दुर्गा मां जय मां दुर्गा से मैंने तेरी मूर्ति का विसर्जन किया वैसे ही अब तेरा भी खत्म कर देती हूं ये कहकर उसने अपनी मायावी शक्ति से एक तलवार प्रकट की और दुर्गा मां की तरफ फेंकती लेकिन दुर्गा मां ने अपनी त्रिशूल से उसे
(14:37) पर वार किया जिससे उसके शरीर के हजारों टुकड़े हो गए और उसकी मौत हो गई तुमने हमारे गांव को अपने कृपा से क्यों वंचित कर दिया लोट आओ मां लोट आओ बेटी अब मैं फिर से यही रहूंगी और इस गांव को छोड़कर कहानी नहीं जाऊंगी जहां तुम जैसे भक्तों मैं उसे गांव को नहीं छोड़ शक्ति यह कहकर मां ने अपना दाहिना हाथ उठाया और उससे एक तेज उत्पन्न हुआ उसे स्टेज से गांव फिर पहले जैसा हो गया लोग प्यार से रहने लगे केन में पानी भर आया खेतों में फासले उगाई और यहां तक की इन दोनों जिनकी मृत्यु हुई थी वह लोग जीवित होते मां की महिमा देख सभी गांव वालों ने मां के नाम के जयकारे
(15:17) लगाएं और बड़े धूमधाम से दुर्गा मां के लिए जागरण किया
गणेश जी और कार्तिकेय में लड़ाई | Hindi Kahaniya | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Pauranik
भगवान गणेश प्रथम पूजनीय प्रारंभ भगवान गणेश की पूजा से ही किया जाता है कहते हैं किसी कार्य को प्रारंभ करने से पहले यदि विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की स्तुति की जाए तो वह कार्य बिना किसी बड़ा के संपूर्ण हो जाता है इसीलिए प्रत्येक कार्य के प्रारंभ में मौखिक अथवा लिखित श्री गणेशाय नमः अवश्य अंकित होता है भगवान गणेश को बुद्धि देने वाले भी कहा गया है अर्थात प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश बुद्धि के देवता मैन गए हैं इनकी पूजा करने पर भक्ति को बुद्धि से संबंधित शुभ फल मिलते हैं और भगवान श्री गणेश के पूजन से मनुष्य के जीवन में सुख सुविधाओं
(01:08) और उज्जवल भविष्य का प्रारंभ होता है भगवान गणेश की बुद्धिमानी की अनेक कथाएं पुराने में प्रचलित हैं जिम से एक कथा के अनुसार एक बार भगवान गणेश ने अपनी बुद्धिमता का परिचय इस प्रकार दिया की सभी देवताओं सहित स्वयं उनके भाई कार्तिकेय भी उनकी बुद्धिमानी की प्रशंसा करने से नहीं चुके एक बार शिवा पुत्र बालक गणेश और कार्तिकेय के बीच इस बात को लेकर बहस होने लगी की उन दोनों में बड़ा कौन है और बात भगवान शिवा और माता पार्वती तक पहुंची उसे समय नारद मनी भी वहां उपस्थित थे मैं गणेश से बड़ा हूं और यह बात यह माने को तैयार ही नहीं है पिताश्री आप ही बताइए
(01:56) मैं कार्तिकेय से बड़ा हूं ना देख लिया इन दोनों में बड़ा कौन है अब इस बात पर यह दोनों भाई आपस के युद्ध को बड़ा दे इससे पहले कुछ कीजिए प्रभु तुम दोनों में से बड़ा है यह तुम दोनों को ही सिद्ध करना होगा हम दोनों को पिताश्री हां तुम दोनों को इसके लिए तुम दोनों को एक परीक्षा देनी होगी पिताश्री अब आजा दीजिए हमें कौन सी परीक्षा देनी होगी मैं पाल भर में ही उसे परीक्षा में उतार हो जाऊंगा और मैं भी पिताश्री अवश्य पुत्र कार्तिकेय पुत्र गणेश परीक्षा यह है की तुम्हें कार्य दिया जाएगा और वो कार्य होगा पृथ्वी की परिक्रमा करने का तुम दोनों में से जो भी
(02:47) तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करके सबसे पहले कैलाश पर्वत पर लौटेगा वहीं विजेता भी बनेगा और वही बड़ा भाई होने का अधिकार प्राप्त करेगा फिर तो विजेता नहीं बनेगा माता श्री पिता श्री मुझे आशीर्वाद दीजिए बालक कार्तिकेय ने तो पृथ्वी की परिक्रमा करनी प्रारंभ भी कर दी बालक गणेश आपके सोच में डब गए अब कुछ नहीं मैं भी बस परिक्रमा प्रारंभ ही कर रहा हूं अपने दिव्या वहां मोर पर स्वर हुए और आकाश में उड़ते हुए तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करने लगे भगवान गणेश जानते थे की वो भारी हैं और उनकी सवारी चूहा कार्तिकेय के मोर जितना तेज नहीं दौड़ सकता अगर वो दुनिया
(03:39) का चक्कर लगाते हैं तो अपने भाई को कभी नहीं हर पाएंगे पुत्र गणेश तुम पृथ्वी की परिक्रमा में नहीं जा रहे हो क्या माता श्री मैं वही तो प्रारंभ कर रहा हूं देवी पार्वती हमारे दोनों ही पुत्र बहुत बुद्धिमान और होनहार है हमारा पुत्र गणेश इस समय जरूर कुछ और ही विचार मां में सोच रहा है इसके पश्चात गणेश जी ने अपने हाथ जोड़े और अत्यंत भक्ति के साथ अपने माता-पिता के समक्ष लगाने लगे उन्होंने तीन बार परिक्रमा की और जीत के पुरस्कार की मांग की माता श्री यह प्रतियोगिता तो मैंने जीत ली मैं तो यह परिक्रमा कब की पुरी कर चुका पर तुम दुनिया भर में तो गए ही नहीं पिता
(04:28) श्री जन्म धरण करने वाली प्रत्येक संतान के लिए माता पिता के चरणों में ही पूरा संसार विद्यमान होता है माता पिता ही अपनी संतान के लिए त्रिलोक समाज होते हैं ट्री के आंचल की छांव और आपके स्नेहा की गॉड मेरे लिए पुरी पृथ्वी के समाज है जहां आप दोनों की सेवा करने से मुझे सर्व सुख प्राप्त होते हैं मेरा लाल मेरा गणित पार्वती वेद पुराण के हिसाब से गणेश की बात सही है इसलिए गणेश को ही बड़ा भाई माना जाएगा अद्भुत पुत्र गणेश आप तो अति बुद्धिमान है महादेव अब तो यह बात मेरे साथ साथ सभी देवी देवता भी मानेंगे की बाल गणेश बुद्धि के डाटा है वो देखिए बालक
(05:21) कार्तिकेय अभी परिक्रमा पूर्ण करके ए चुके हैं माता श्री पिता श्री मैं पृथ्वी की परिक्रमा करके लोट आया हूं और मैंने सब कुछ सुन भी लिया है वास्तव में गणेश अति बुद्धिमान होने के साथ-साथ बहुत प्रश्न हुए भगवान शिवा की योजना से दोनों भाइयों के बीच चल रही इस बहस का सदा के लिए अंत हो गया [संगीत]