भगवान् परशुराम अवतरण :—— hindi kahani | hindi kahaniya

भगवान् परशुराम अवतरण :—— hindi kahani | hindi kahaniya

 

परशुराम जी , भगवान विष्णु के, छठे अवतार माने जाते हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। कई ऐसी पौराणिक कथाएं हैं , जिनसे भगवान परशुराम के, अत्यंत क्रोध्रित स्वभाव का पता चलता है। भगवान परशुराम के क्रोध से, देवी-देवता भी थर-थर कांपते थे।
1- कुल परिचय —–
* परशुराम जी, सप्तऋषि जमदग्नि और रेणुका के सबसे छोटे पुत्र हैं।
* ऋषि जमदग्नि के पिता का नाम ऋषि ऋचिका तथा ऋषि ऋचिका, प्रख्यात संत भृगु के पुत्र थे।
* ऋषि भृगु के पिता का नाम च्यावणा था। ऋचिका ऋषि धनुर्वेद तथा युद्धकला में अत्यंत निपुण थे। अपने पूर्वजों की तरह, ऋषि जमदग्नि भी युद्ध में कुशल योद्धा थे।
* जमदग्नि के पांचों पुत्रों वासू, विस्वा वासू, ब्रिहुध्यनु, बृत्वकन्व तथा परशुराम में , परशुराम ही सबसे कुशल एवं निपुण योद्धा एवं सभी प्रकार से युद्धकला में दक्ष थे।
* परशुराम जी, भारद्वाज एवं कश्यप गोत्र के, कुलगुरु भी माने जाते हैं।
2- भगवान परशुराम के अस्त्र ——
परशुराम जी का मुख्य अस्त्र, कुल्हाड़ी माना जाता है। इसे फारसा, परशु भी कहा जाता है। परशुराम ब्राह्मण कुल में जन्मे तो थे। परंतु , उनमे युद्ध आदि में अधिक रुचि थी। इसीलिए, उनके पूर्वज च्यावणा, भृगु ने उन्हें भगवान शिव की तपस्या करने की आज्ञा दी। अपने पूर्वजों कि आज्ञा से , परशुराम ने शिवजी की तपस्या कर, उन्हें प्रसन्न किया। शिवजी ने, उन्हें वरदान मांगने को कहा, तब परशुराम ने हाथ जोड़कर, शिवजी की वंदना करते हुए, शिवजी से दिव्य अस्त्र तथा युद्ध में निपुण होने कि कला का वर मांगा। शिवजी ने परशुराम को युद्धकला में निपुणता के लिए, उन्हें तीर्थ यात्रा की आज्ञा दी। तब परशुराम ने, उड़ीसा के महेन्द्रगिरी के महेंद्र पर्वत पर शिवजी की कठिन एवं घोर तपस्या की।
3- परशुराम जी का अवतरण उद्देश्य ——
उनकी इस तपस्या से , एक बार फिर शिवजी प्रसन्न हुए। उन्होंने परशुराम को वरदान देते हुए कहा कि, परशुराम का जन्म धरती के राक्षसों का नाश करने के लिए हुआ है। इसीलिए, भगवान शिवजी ने परशुराम को, देवताओं के सभी शत्रु, दैत्य, राक्षस तथा दानवों को मारने में सक्षमता का वरदान दिया। परशुराम युद्धकला में निपुण थे। ऐसी मान्यता है कि , धरती पर रहने वालों में , परशुराम और रावण के पुत्र इंद्रजीत को ही सबसे खतरनाक, अद्वितीय और शक्तिशाली अस्त्र- ब्रह्मांड अस्त्र, वैष्णव अस्त्र तथा पशुपत अस्त्र प्राप्त थे। परशुराम शिवजी के उपासक थे। उन्होंने सबसे कठिन युद्धकला “कलारिपायट्टू”की शिक्षा शिवजी से ही प्राप्त की। शिवजी की कृपा से, उन्हें कई देवताओं के दिव्य अस्त्र-शस्त्र भी प्राप्त हुए थे। “विजया” उनका धनुष कमान था, जो उन्हें शिवजी ने प्रदान किया था।

Leave a Comment