भगवान बने भिखारी | Bhagwan Bane Bhikhari | Hindi Kahani | Moral Stories | Bhakti Stories | Story –
यह कहानी है गिरधर नाम के एक सुनार की गिरधर की आदत थी रोजाना सुबह भगवान शिव की पूजा आराधना करके गले पर बैठना वह भगवान शिव की पूजा तो करता था पर कभी भी कोई जरूरतमंद गरीब या फिर कोई मांगने वाला भिक्षुक उसकी दुकान पर आए तो वह उसे भगा देता था ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय सेठ जी बहुत भूख लगी है थोड़े पैसे दे दो कुछ खा लूंगा चल चल हट जा यहां से रोजाना सुबह-सुबह दिमाग खराब करने के लिए आ जाते हैं बस दुकान खोलने की देर है इन भिख मंगों की लाइन लग जाती है चल वो भिखारी
(00:47) वहां से खाली हाथ लौट गया तभी गिरधर का दोस्त आ गया क्या बात है गिरधर तू इतना गुस्से में क्यों है अरे क्या करूं यार दुकान खोली नहीं कि ये भिखारी मांगने आ जाते हैं ये बाजार में हर समय भिखारी घूमते रहते हैं बहुत परेशान किया हुआ है यार इन्होंने चल छोड़ गुस्सा कोई बात नहीं एक कप चाय पिला यार हां हां अभी मंगवा हूं गिरधर अपने दोस्त के लिए चाय मंगवा लेता है अब भगवान शिव तो भले ही भोले भाले हैं पर अपने किसी भक्त को गलत राह पर वह नहीं जाने देते कैलाश पर बैठे वह सारा नजारा देख रहे थे क्या हुआ भोलेनाथ आप मंद मंद मुस्कुरा
(01:19) क्यों रहे हैं देवी पार्वती वो देखो मेरा भक्त गिरधर वो मेरी पूजा बहुत मन से करता है पर वो यह नहीं जानता कि मेरी असली पूजा तो गरीब और बेसहारा लोगों की सहायता करने से है क्योंकि धरती के प्रत्येक प्राणी में मेरा वास है अभी कुछ देर पहले ही उसने एक जरूरतमंद को अपने द्वार से खाली हाथ ही लौटा दिया प्रभु फिर तो आपको अपने भक्त को सही मार्ग पर लाना ही होगा देवी पार्वती मैं गिरधर के द्वार पर अवश्य जाऊंगा अब वो तो उसे देखना है कि वो मुझे पहचान पाता है या फिर नहीं भगवान शिव एक भिखारी का भेज बना लेते हैं और गिरधर के पास पहुंचते हैं
(02:00) गिरधर उस समय दुकान पर भगवान शिव की पूजा ही कर रहा था हे महादेव मैं आपकी रोजाना सच्चे मन से पूजा करता हूं हमेशा आपका नाम लेता रहता हूं फिर भी आप मुझे दर्शन नहीं देते हो प्रभु प्रभु मेरी इच्छा है कि आप मुझे दर्शन दो मैं आपके दर्शन पाना चाहता हूं प्रभु ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय बेटा आज सुबह से कुछ भी नहीं खाया है थोड़ी मदद कर दो तो मैं कुछ खा लूंगा लो फिर आ गया एक और मांगने के लिए मैं तो सच में परेशान हो गया हूं ठीक से थोड़ी देर पूजा और मंत्र जब भी नहीं कर सकता ये दुकान खुली नहीं कि मांगने के लिए दुकान के सामने खड़े हो जाते हैं अरे चलो
(02:37) चलो चलो चलो जाओ यहां से सुबह-सुबह दिमाग मत खराब करो ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय मुझे तो खाली हाथ लौटा रहे हो बेटा अगर भगवान शिव स्वयं तुम्हारे द्वार आ गए तो तुम उन्हें खाली हाथ लौटा दोगे अरे भगवान शिव ऐसे नहीं आते हैं वो जब आएंगे ना तो मेरी दुकान उनके रूप और तेज से चमकने लगेगी बहुत सुंदर रूप है उनका साक्षात महाकाल है वो महाकाल तुझ में और भगवान शिव में बहुत अंतर है तू ठहरा एक भिखारी और वह है पूरी सृष्टि को चलाने वाले भगवान शिव है वो अगर उनके मुझे दर्शन हो गए तो उनकी मैं खूब सेवा करूंगा हां अगर मैं यह कहूं कि मुझ में भी उनका
(03:15) ही वास है बेटा और इस जगत के प्रत्येक प्राणी में उनका वास है तो क्या तुम फिर भी मुझे कुछ नहीं दोगे अरे पागल हो गया है क्या भगवान शिव तुझ जैसे तुच्छ भिखारी के अंदर वास करेंगे अरे बिल्कुल नहीं अरे मैं मान ही नहीं सकता अरे तुझे भीख मांगनी है ना इसलिए तू ऐसी बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है भगवान शिव ऐसे दर्शन नहीं देते वह क्या भिखारी बनकर मेरे द्वार पर आएंगे नहीं नहीं वो तो बहुत सुंदर रूप में मुझे दर्शन देंगे तू जानता भी है भगवान शिव कैसे दिखाई देते हैं कैसे दिखाई देते हैं कहीं ऐसे तो नहीं और फिर भगवान शिव अपने वास्तविक रूप में आ जाते हैं उनमें इतना
(03:51) तेज था कि गिरधर की आंखें उन्हें ठीक से देख भी नहीं पा रही थी हे महादेव आप आप आप मेरे द्वार पर आए और और मैं आपको पहचान जान भी नहीं पाया मुझे मुझे क्षमा कर दो प्रभु मुझे क्षमा कर दो गिरधर तुम मेरे परम भक्त हो इसलिए मुझे तुम्हें दर्शन देने तो आना ही था पर याद रखना मैं सभी प्राणियों में वास करता हूं मेरा अनंत स्वरूप हर प्राणी में विद्यमान है इसलिए सभी प्राणियों का आदर करो भूखों को भोजन खिलाओ प्यास को पानी पिलाओ दान पुण्य करो पशु पक्ष और जानवरों को कभी भी कोई कष्ट मत पहुंचाओ पशु पक्षियों और जानवरों को कभी भी कोई कष्ट मत पहुंचाओ सदैव दूसरों
(04:39) की भलाई करो तभी तुम्हें मेरी पूजा का फल प्राप्त होगा मैंने भिखारी का भेष इसीलिए बनाया था ताकि मैं तुम्हें सही मार्ग दिखा सकूं मुझे क्षमा कर दो प्रभु मैं अब ऐसा कभी नहीं करूंगा कभी नहीं करूंगा मेरे द्वार से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटेगा मैं आपको वचन देता हूं प्रभु मुझे आपके दर्शन हो गए मेरा जीवन धन्य हो गया हे शिवशंकर आपकी सदा ही जय हो जय भोलेनाथ इसके बाद भगवान शिव वहां से अंतर्ध्यान हो जाते हैं उस दिन के बाद गिरधर के द्वार से कभी भी कोई खाली हाथ नहीं लौटा इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि हमें अपने सामर्थ्य के अनुसार निर्धन और जरूरतमंद
(05:23) लोगों की मदद अवश्य करनी चाहिए बार
भगवान शंकर तपस्या से उठे तो मां पार्वती उनके पास आई और बोली स्वामी आप सारा दिन पर्वत पर बैठे रहते हो और मैं सारा दिन घर का कामकाज करती हूं भूखी प्यासी बैठी रहती हूं आप कुछ नहीं कमाते हो मैं क्या खाऊं क्या बच्चों को खिलाऊ आपने कभी इस ओर ध्यान भी दिया कि परिवार कैसे चलेगा मां पार्वती की बातें भगवान शंकर ध्यान से सुन रहे थे आप मेरी एक बात मानोगे स्वामी मैंने तुम्हारे साथ फेरे लेते हुए सात वचन निभाने का वादा किया था तुम कहो हो तो मैं तुम्हारी बात अवश्य मानूंगा तो फिर ठीक है एक काम करो आप
(06:04) वृंदावन चले जाओ एक आपका अपना नंदी बैल तो है ही और एक बैल आपका वहां कन्हैया से मांग लेना कन्हैया के खेत है आप वहां पर खेती करना और जो फसल उगे उसे ले आना कुछ तो काम चलेगा लेकिन एक बात का ध्यान रहे स्वामी आप वहां जाकर कन्हैया से कहना कि आप खेती ऊपर की लोगे और नीचे का हिस्सा कन्हैया को देना ठीक है देवी पार्वती मैं अभी नंदी बैल पर बैठकर वृंदावन जाता हूं इसके पश्चात भगवान शंकर अपने बैल नंदी पर बैठ गए और कन्हैया जी के पास जाने लगे रास्ते में नंदी बैल उनसे बोला प्रभु हम जा तो रहे हैं लेकिन ये कन्हैया बहुत चालाक है बहुत तेज है कोई नहीं जो होगा सो
(06:42) देखा जाएगा मैंने पार्वती को वचन दिया है कि अब मैं खेती करके ही लौटूंगा और फिर इसके पश्चात शंकर जी अपने बैल नंदी के साथ कृष्ण जी के द्वार पहुंचे और अपना शंख बजाने लगे शंख की आवाज सुनकर कृष्ण जी द्वार खोलते हैं तो उनके सामने भगवान शंकर खड़े थे कृष्ण जी भगवान शंकर को प्रणाम करते हैं भोलेनाथ आप आइए भीतर पधारिए अचानक कैसे आना हुआ मुझे संदेशा भेज देते मैं आपसे मिलने आ जाता कन्हैया मेरा एक काम है जो केवल तुम ही कर सकते हो हां हां बताइए मैं आपकी किस प्रकार सहायता कर सकता हूं मुझे आपके खेतों पर खेती करनी है एक बैल मेरे पास है और एक बैल आप अपना दे दो
(07:24) और अपने खेत पर मुझे खेती करने के लिए दे दो क्यों मैया आपका क्या विचार है भगवान शंकर हमारे खेतों पर खेती करना चाहते हैं हां तो कोई बात नहीं अच्छी बात है हमें भी बनी बनाई फसल मिल जाएगी पर मेरी एक शर्त है खेती में आप जो भी मुझे बोने को कहोगे वह मैं बो दूंगा पर खेती का ऊपरी हिस्सा मैं रखूंगा तो आप बताओ मैं क्या बो दूं ठीक है मुझे मंजूर है एक काम करो आप ना आलू बोद ठीक है फिर मैं फसल तैयार होने के बाद ही आपसे मिलूंगा इसके बाद शंकर जी बैलों को लेकर खेती करने चले गए उन्होंने खूब मेहनत से खेती घी और आलू गाए कुछ दिनों में आलू की फसल पककर तैयार हो गई
(08:04) शर्त के मुताबिक शंकर जी और नंदी ने मिलकर आलू के ऊपर की फसल आलू के पत्ते काटे और गठरी में भरकर कैलाश ले गए शंकर जी ने बहुत खुशी से पार्वती मैया को वह गठरी दी पार्वती मैया ने जब गठरी को खोलकर देखा तो वह हैरान हो गई उस गठरी में तो पत्ते ही पत्ते थे प्रभु आप यह क्या उठा लाए हो खेती कहां है जो आपने की थी पार्वती मैंने तो वैसा ही किया ऐसा तुमने मुझसे कहा मैंने ऊपर की खेती का हिस्सा लिया और कैलाश लौट आया मुझे कुछ नहीं पता प्रभु अब मैं इन पत्तों का क्या करूं यह पत्ते किसी काम के नहीं है अब आप दोबारा जाओ और दोबारा खेती करके लाओ और हां अबकी बार आप
(08:45) नीचे की खेती मांगना एक बार फिर भगवान शंकर नंदी के साथ वृंदावन जाने लगे रास्ते में नंदी ने उन्हें फिर समझाया कि कान्हा बहुत चतुर है तो आप सावधान रहना शंकर जी ने फिर से वही कहा कि जो होगा देखा जाएगा कन्हैया मुझे आपके बैल और खेत फिर से चाहिए मुझे एक बार फिर खेती करनी है पर इस बार मेरी शर्त यह है कि मैं खेती नीचे की लूंगा ऊपर की आप रखना बताओ मैं क्या बो दूं ठीक है फिर तो आप बाजरा बो दो कृष्ण जी के कहने पर शंकर जी ने बाजरा बो दिया और खेती की उसकी अच्छे से रखवाली की और कुछ ही समय में बहुत अच्छी बाजरे की फसल उगाई शंकर जी बाजरे के नीचे की डंडियों
(09:26) तोड़कर कैलाश ले गए और ऊपर का बाजरा कृष्ण जी और यशोदा मैया घर ले गए कैलाश पहुंचकर जब शंकर जी ने माता पार्वती को बाजरे के नीचे की डंडियों से भरी गठरी दिखाई तो वह फिर से क्रोधित हो गई अरे आप यह क्या ले आए यह तो घास फूस है इनका मैं क्या करूंगी इसमें बाजरे के दाने कहां है पार्वती मुझे तो तुमने कहा कि मैं नीचे की खेती ले आऊ इसलिए ऊपर की खेती मैंने कन्हैया को दे दी मुझे कुछ नहीं पता मैं क्या बनाऊं और क्या खिलाऊ आप एक बार फिर से जाओ और इस इस बार कन्हैया से कहना कि ऊपर और नीचे दोनों की खेती आप ही रखोगे ठीक है पार्वती जैसा तुम
(10:05) कहो मैं फिर से जाता हूं चलो नंदी शंकर जी कन्हैया के द्वार पर पहुंचे और उनसे फिर से खेती करने के लिए कहा कन्हैया इस बार ऊपर और नीचे दोनों की खेती मैं ही लूंगा बताओ मुझे क्या बोना है ठीक है इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है आप इस बार मक्का बोलो इस बार आप ऊपर और नीचे की खेती ले लेना और जो बचेगा वो मैं रख लूंगा शंकर जी फिर से खेती करने लगे कुछ ही समय में मक्का की बहुत अच्छी फसल उगाई कृष्ण जी यशोदा मैया के साथ मिलकर बीच का हिस्सा यानी कि मक्का तोड़कर घर ले गए और ऊपर और नीचे की फसल भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर ले आए इस बार
(10:43) नंदी और भगवान शंकर बहुत खुश थे कि ऊपर और नीचे की दोनों खेती देखकर माता पार्वती बहुत खुश होंगी पर जैसे ही उन्होंने मां पार्वती को खेती की गठरी पकड़ाई जिसे देखकर मां पार्वती अपना सिर पकड़कर बैठ गई अरे ऊपर और नीचे की फसल तो ले आए पर इसमें भुट्टा कहां है पार्वती तुमने ही तो कहा था कि ऊपर की और नीचे की खेती लेकर आऊं इसलिए मैं ऊपर और नीचे की खेती ही तो लेकर आया हूं अब मैं भोला भाला जैसा तुमने मुझसे कहा मैंने वैसा ही किया तभी कृष्ण जी आते हैं मां पार्वती भोलेनाथ बिल्कुल उचित कह रहे हैं भोलेनाथ को तभी तो भक्त भोले बाबा कहते हैं भोलेनाथ तो भाव के
(11:25) भूखे हैं प्रेम से जो भी इनको कुछ भी अर्पित करता है वे ग्रह कर लेते हैं आप धन्य है भोलेनाथ मां पार्वती भोलेनाथ के द्वारा की हुई खेती मैं ले आया हूं इसे स्वीकार कीजिए मां पार्वती देखती हैं कि भगवान भोलेनाथ ने तो बहुत ही बढ़िया खेती करके आलू बाजरा और मक्का उगाया था वह खुशी से फूली नहीं समाती कुछ भी कहिए स्वामी पर आपने नंदी और कान्हा के बैलों के साथ मिलकर बहुत बढ़िया खेती की है