भगवान भोलेनाथ और उनकी भक्त
भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से क्या नहीं हो सकता ऐसा ही विश्वास था यशोदा का और ऐसा हुआ भी भगवान भोलेनाथ के वरदान के फल स्वरूप यशोदा के सिर से बांझ होने का कलंक मिट गया तो चलिए देखते हैं बांज बहू की
महाशिवरात्रि यशोदा को देखने के लिए लड़के वाले आए थे यशोदा के पिता रामनिवास लड़के की मां से कहते हैं देखिए बहन जी हमारी यशोदा बचपन से ही भगवान भोलेनाथ की भक्त है वह हर सोमवार को भगवान भोलेनाथ के मंदिर जाकर उनकी पूजा करती है और व्रत भी रखती है यशोदा हर साल महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की भव्य पूजा करती है दरअसल यशोदा खुद भी भगवान भोलेनाथ की मन्न तों से जन्मी है हमने संतान प्राप्ति के लिए भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना की थी जिसके बाद यशोदा का जन्म हुआ
लड़के वाले ने कहा-हां हां भाई साहब यशोदा शादी के बाद भी भोलेनाथ की भक्ति करेगी हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है आप तो
बस कोई अच्छा सा महूरत देखकर शादी की तैयारी कीजिए
यशोदा के पिताने कहा-ठीक है बहन जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कुछ दिनों के बाद यशोदा की शादी सोमवती के बेटे हरीश के साथ हो जाती है यशोदा खुशी-खुशी अपने ससुराल आ जाती है दूसरे ही दिन सोमवार का दिन था और यशोदा सुबह-सुबह नहा धोकर भगवान भोलेनाथ के मंदिर जाने के लिए पूजा की थाली सजाने लगती है
सोमवतीने कहा-अरे बहू आज तो तेरी शादी का दूसरा ही दिन है आज कहां जाने की तैयारी कर रही है
यशोदा ने कहा-मां जी आज सोवार है ना मैं भगवान भोलेनाथ के मंदिर जा रही हूं मैं हर सोमवार को भगवान भोलेनाथ के मंदिर जरूर जाती हूं और उनकी पूजा करती हूं और आज
मेरा व्रत भी है
सोमवतीने कहा-राम राम शादी के दूसरे ही दिन नई बहू ऐसे घर से बाहर पैर निकालती है क्या, भला बताओ तो चुपचाप घर में ही पूजा कर ले
यशोदा ने कहा-लेकिन मां जी घर में तो भगवान भोलेनाथ की मूर्ति नहीं है
सोमवतीने कहा-तो कोई बात नहीं तू तो बहुत बड़ी भक्त है ना अपने मन में ही भगवान भोलेनाथ का ध्यान कर ले इस घर में किसी भगवान की पूजा नहीं होती है.
शादी के बाद यशोदा को पता चला कि उसके ससुराल वाले तो भगवान को मानते ही नहीं है पूजा पाठ तो दूर की बात है ऐसा पहली बार हुआ था कि सोमवार के दिन यशोदा भगवान भोलेनाथ के मंदिर नहीं गई हो यशोदा दुखी मन से अपने मन में भगवान भोलेनाथ से क्षमा
मांगती है हे भोलेनाथ मुझे माफ कर देना आज मैं आपकी पूजा करने आपके पास नहीं आ सकी क्या करूं अब मैं ससुराल के नियमों से बंद गई हूं भोलेनाथ आप तो अंतर्यामी हैं मुझे उम्मीद है कि आप मेरी मजबूरी समझ रहे होंगे .धीरे-धीरे दिन बीतते गए और यशोदा का प्रत्येक सोमवार को मंदिर जाना छूट गया उसकी सास सोमवती कभी काम का बहाना तो कभी किसी और बहाने से उसे कभी भगवान भोलेनाथ के मंदिर नहीं जाने देती
सोमवतीने कहा- देख बहू यहां यह सब नहीं चलेगा मंदिर जाने के बहाने घूमना फिरना और ऐश मौज करना मुझे पसंद नहीं है चुपचाप घर में रहकर घर के काम काज कर बेचारी यशोदा अपने मन में ही भगवान
भोलेनाथ का ध्यान कर लेती इस तरह कई साल बीत गए और यशोदा मां नहीं बन पाई इधर यशोदा के पति हरीश ने अपना नया बिजनेस शुरू किया था और वह अपने नए काम पर पहली बार ऑफिस जाने के लिए घर से बाहर निकल रहा था तभी यशोदा ने उसे पीछे से आवाज लगाई सुनिए जी यशोदा की आवाज लगाने के कारण उसका पति हरीश पीछे मुड़ा और यशोदा की तरफ देखकर बोला- बोलो क्या बात है मैं कहीं भी जाऊं तुम टोके बिना नहीं रह सकती
सोमवतीने कहा-इसे कितनी बार समझाया है कि जब कोई शुभ काम के लिए घर से बाहर जाए तो उसके सामने अपनी मनहूस चकर लेकर मत आया कर अच्छा भला काम का नुकसान सान हो जाता है शादी के सात साल
हो गए अब तक एक पोता तो दे नहीं पाई नाम तो यशोदा है लेकिन गोद में नंदलाला अभी तक नहीं आया
सास सोमवती की बातें सुनकर यशोदा की आंखों से आंसू निकल आए
हरीश ने कहा-माने ऐसा भी क्या कह दिया कि तुम आंखों से गंगा जमुना बहाने लग गई यह सब नाटक करने की जरूरत नहीं है और इतना कहकर हरीश अपने काम पर निकल गया
यशोदा दिन भर घर की चार दीवारी में बंद रहती और घर के काम करती लेकिन वह हर समय भगवान भोलेनाथ के नाम का जाप करती रहती थी एक बार यशोदा के ससुराल में उसकी सास सोमवती की बहन कलावती अपनी बहू और एक साल के पोते को लेकर आई
सोमवतीने कहा-अरे कलावती बहन बहुत-बहुत बधाई हो तुम तो दादी बन गई
मेरी किस्मत तो फूटी हुई थी जो मैंने अपने बेटे की शादी इस बंजर जमीन से कर दी
यशोदा सांस की बातें सुनकर खून का घूंट पीकर रह जाती है उसने बच्चे को गोद में लेने की कोशिश की नर्मदा बहन जरा मुन्ने को मेरी गोद में देना जरा मैं भी इसे प्यार कर लूं
सोमवतीने कहा- तू तो रहने ही दे तेरा अपना बच्चा तो है नहीं तू क्या जाने कि बच्चे को कैसे गोद में लेते हैं तू तो बच्चे को गिरा देगी उसे चोट लग जाएगी सोमवती की बात सुनकर नर्मदा यशोदा के हाथों से अपना बच्चा वापस ले लेती है सास सोमवती के ताने यशोदा के लिए बांझ होने की तकलीफ से ज्यादा बड़े थे
जो यशोदा के दिल में गहरे घाव बना रहे थे इतने दुख और तानों के बीच भी यशोदा हमेशा भगवान भोलेनाथ को याद करती शादी के सात साल बीत गए थे लेकिन इन सात सालों में यशोदा एक बार भी विधि विधान से महाशिवरात्रि की पूजा नहीं कर पा पाई थी लेकिन वह भूखे रहकर अपना व्रत जरूर पूरा करती और मन में भगवान भोलेनाथ का ध्यान करती
यशोदा हमेशा याद करती कि कैसे वह शादी से पहले हर सोमवार को भगवान भोलेनाथ के मंदिर जाती थी और उन्हें जल और बेलपत्र अर्पित करती थी लेकिन भगवान भोलेनाथ की पूजा अब यादें ही बनकर रह गई थी हे भोलेनाथ मैंने ऐसा कौन सा अपराध किया था
कि आपने मुझे संतान के सुख से वंचित रखा क्या आप नहीं जानते कि मेरी मजबूरी क्या है हां पता है कि मैं सात सालों से आपके मंदिर नहीं आई और आपकी पूजा नहीं की लेकिन आप तो भगवान हैं आप समझ सकते हैं कि मैं किन हालातों से गुजर रही हूं आप मेरी मदद कीजिए प्रभु मुझे बस आप पर विश्वास है यशोदा मन ही मन भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना कर रही थी कि तभी उसकी सास सोमवती चिल्लाती है यशोदा यशोदा पता नहीं अकेले में किससे बातें करती रहती है डायन कहीं की हमें पता होता कि तू बांज निकलेगी तो कभी तुझे ब्याह के अपने घर नहीं लाते
यशोदाने कहा- क्या हुआ मां जी
सोमवती यशोदा के बाद पकड़
कर उसे खींचते हुए बोलती है मां जी की बच्ची दिन के 12:00 बज गए ना कपड़े धुले हैं और ना खाना बना है
यशोदाने कहा- माझी मेरे बालों को छोड़ दीजिए बहुत दर्द हो रहा है
सोमवतीने कहा- दर्द हो रहा है तो फिर मुझे गुस्सा क्यों दिलाती है चल जल्दी से काम निपटा
इस घर को सुना करके छोड़ दिया है तूने
दिन भर तेरी मनहूसियत इस घर को खाई जा रही है जिस घर में बच्चे की किलकारी नहीं गूंजती उस घर में चीखें ही गूंजती हैं समझी. बेचारी यशोदा अपने हाथों से अपने आंसू पोछे हुए घर के काम करने लग ती है यशोदा की शादी को आठवां साल चल रहा था महाशिवरात्रि का त्यौहार नजदीक आने वाला था यशोदा मन ही मन
सोचती है कुछ भी हो जाए मैं इस साल महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ की पूजा जरूर करूंगी यशोदा अप नी मां सविता को फोन करती है मां मां शब्द के आगे यशोदा कुछ नहीं कह पाई और फूट फूट कर रोने लगी
यशोदा की मां सविता ने कहा- क्या बात है यशोदा तू रो क्यों रही है क्या तू ससुराल में खुश नहीं है किसी ने कुछ कहा है क्या .
यशोदा ने कहा-मां सारा दिन बांझ होने का ताना सुनती रहती हो जब से शादी हुई है मैं कभी भगवान भोलेनाथ के मंदिर नहीं गई और ना ही उनकी पूजा की मुझे ऐसा लगता है कि भगवान भोलेनाथ मुझसे बहुत नाराज है लेकिन इस बार इस बार मैं महाशिवरात्रि की भव्य पूजा करना चाहती हूं
यशोदा की मां सविता ने कहा-तू चिंता मत कर बेटी तेरे
पिताजी तो भगवान भोलेनाथ के भक्त हैं मैं तेरी सास से बात करके महाशिवरात्रि से पहले तुझे घर बुला लूंगी तू यहां आ जाना और मेरे साथ मंदिर चलकर महाशिवरात्रि की पूजा अर्चना करना
यशोदा ने कहा-ठीक है मां
यशोदा की मां सविता उसकी सास सोमवती को फोन करती है और उससे कहती है कि वह यशोदा को कुछ दिनों के लिए माइके आने दे
सोमवतीने कहा-देखिए बहन जी वैसे तो आपकी बेटी हमारे किसी काम नहीं आई शादी के 7 साल हो गए और उसने अभी तक एक बच्चा नहीं दिया उसके रहने से तो हमारे घर में मनहूसियत ही छाई रहती है लेकिन अगर वह माइके चली गई तो यहां घर का काम कौन करेगा
सविता काफी मिन्नतें करती है और
महाशिवरात्रि से ठीक एक दिन पहले यशोदा को मायके भेजने के लिए सोमवती को मना लेती है
यशोदा की मां सविता ने कहा-बस दो दिनों की बात है बहन जी दो दिनों के बाद हम यशोदा को वापस भेज देंगे
सोमवतीने कहा-ठीक है लेकिन इसे कोई पहुंचाने नहीं जाएगा यह अपने आप चली जाएगी और इस तरह महाशिवरात्रि से ठीक एक दिन पहले यशोदा अपने मायके आ जाती है
यशोदा ने कहा-मां मैंने सात साल से भगवान भोलेनाथ को नहीं देखा उनकी पूजा नहीं कर पाई इसलिए भगवान भोलेनाथ ने मुझे इतनी बड़ी सजा दी है
यशोदा की मां सविता ने कहा-नहीं यशोदा बेटी ,भगवान भोलेनाथ तो अत्यंत भोले हैं वह अपने भक्तों से कभी नाराज नहीं होते वे तो सदा अपने भक्तों की मदद करते हैं
यशोदा ने कहा- तो भगवान
भोलेनाथ मेरी मदद क्यों नहीं करते मां .इस यशोदा की गोद में भी एक नंदलाल क्यों नहीं देते
यशोदा की मां सविता ने कहा-यशोदा बेटी अब तू घर आ गई है तो चिंता किस बात की है कल महाशिवरात्रि है कल भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उनसे अपने दिल की बात कह देना
दूसरे दिन महाशिवरात्रि का पवित्र त्यौहार था यशोदा सुबह उठकर नहा धोकर तैयार हुई और अपनी मां सविता के साथ भगवान भोलेनाथ के मंदिर गई लेकिन भगवान भोलेनाथ के सामने यशोदा एक भी शब्द नहीं बोल पाई. बोल रहे थे तो सिर्फ यशोदा की आंखों से बहते हुए आंसू .यशोदा बिना कुछ कहे भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करके घर वापस आ गई रात में जब
यशोदा सोई तो उसके सपने में भगवान भोलेनाथ ने दर्शन दिए और यशोदा से कहा यशोदा तुम्हारे आंसुओ ने मुझसे वह सब कह दिया जो तुम मुझसे कहना चाहती थी मैं तुम्हारी निश्चल भक्ति से अभिभूत हूं और आज तुम्हें वह सब देने आया हूं जिसकी कामना लेकर तुम मेरे पास आई थी आज से ठीक नौ महा बाद तुम एक बालक को जन्म दोगी इतना कहकर भगवान भोलेनाथ अंतर्ध्यान हो गए और यशोदा की नींद खुल गई
यशोदा ने कहा-क्या यह सपना था ऐसा लग रहा था जैसे भगवान भोलेनाथ सच में मेरे सामने खड़े हो और मुझे आशीर्वाद दे रहे हो हे भोलेनाथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपने स्वयं आकर मुझे दर्शन दिया मुझे अपना
आशीर्वाद दिया दूसरे दिन यशोदा सोकर उठी उस दिन वह बहुत खुश थी उसने अपनी मां सविता से सारी बात बताई
यशोदा की मां सविता ने कहा-यशोधा बेटी भगवान भोलेनाथ तेरे सारे दुख दूर करेंगे और जल्द तेरी गोद भर जाएगी
यशोदा ने कहा-मां अब मैं अपने ससुराल जाना चाहती हूं
यशोदा की मां सविता ने कहा-हां बेटी जरूर जा लेकिन हर साल महाशिवरात्रि से एक दिन पहले माय के आ जाना और यहां रहकर भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा अर्चना करना
यशोदा खुशी-खुशी अपने ससुराल चली जाती है कुछ दिनों के बाद ही यशोदा गर्भवती हो जाती है नौ माह के बाद यशोदा ने एक बहुत ही सुंदर बालक को जन्म दिया जिसके बाद यशोदा के सिर से बांझ होने का कलंक धुल गया