भोले बाबा और पंडित | hindi kahaniyan |Hindi Kahani |

सोमनाथ और उसकी पत्नी उमा भगवान शिव के परम भक्त थे सोमनाथ की कई पुश्ते पंडिताई का काम करती आ रही थी जिसे आगे बढ़ाते हुए सोमनाथ भी घर-घर जाकर पूजा पाठ के काम करवाता था उमा को भी गांव में सभी लोग पंडिताइन कहकर बुलाते थे और कोई भी अच्छा काम करने से पहले उसकी सलाह जरूर लेते थे

कमला ने कहा-अरे पंडिताइन घर में हो कि नहीं हां 

पंडिताइन ने कहा-हां मैं कहां जाऊंगी आओ अंदर आ जाओ

 कमला ने कहा-अच्छा तो पूजा में लगी हो .अरे बस करो भोलेनाथ को घर बुलाकर ही रहोगी क्या .

पंडिताइन ने कहा-अरे कमला ऐसे भाग्य हो जाएं तो जीवन सफल हो जाए .वह आज सोमवार है ना तो मेरा और पंडित जी का व्रत है .यह लो भोले बाबा का प्रसाद 

कमला ने कहा-अच्छा अच्छा लाओ अच्छा पंडिताइन वह मुझे ना मुन्ना का मुंडन करवाना है जरा एक अच्छा सा दिन देखकर तो बताओ 

पंडिताइन ने कहा-हां हां अभी लो बस दो मिनट रुको .ह| परसों का दिन सही रहेगा 

कमला ने कहा-अरे इतनी जल्दी नहीं नहीं ,इसके बाद का कोई दिन देखो ,मुझे दावत करनी है इतनी जल्दी कैसे हो पाएगा सब 

पंडिताइन ने कहा-इसके बाद तो अगले महीने की ही तिथि ठीक

रहेगी 

कमला ने कहा-ओ हो ना ना अगले महीने तो देर हो जाएगी 

पंडिताइन ने कहा-कमला तुम परेशान क्यों होती हो मुन्ना का मुंडन परसों ही करवा लो सारी तैयारियों में मैं तुम्हारी मदद कर दूंगी 

कमला ने कहा-सच पंडिताइन तुमने तो सारी परेशानी ही हल कर दी और वैसे भी तुम रहोगी तो सारे काम बिल्कुल सही तरीके से हो जाएंगे और पंडित जी को भी बोल देना मुंडन के बाद हवन उन्होंने ही करवाना है

पंडिताइन ने कहा- ठीक है मैं दूंगी 

कमला ने कहा-अच्छा एक बात बताओ पंडिताइन वह वैद्य जी के बारे में बताया था 

पंडिताइन ने कहा-तुम्हें गई थी वहां हां गई तो थी इलाज भी चलाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ 

कमला ने कहा-अच्छा तुम तुम चिंता मत करो वैसे पंडिताइन

 मैं क्या कह रही थी तुम क्यों परेशान होगी छोटी सी तो दावत है मैं मैं निपटा लूंगी सारे काम और मुझे ना, अब भी याद आया  वो मेरे जेठ जी है ना वो कह रहे थे कि इस बार हवन वही करेंगे तो पंडित जी को भी परेशान होने की जरूरत नहीं है अच्छा तो तो मैं अब चलती हूं इतना कहकर कमला वहां से चली जाती है वो भले ही कुछ साफसाफ ना कह पाई हो लेकिन उमा सब समझ गई थी 

फिर उसी शाम  पंडिताइनने कहा-सुनते हो आज कमला आई थी अपने मुन्ने का मुंडन करवा रही है 

पंडित ने कहा-अच्छा तो फिर कब जाना है 

पंडिताइनने कहा-नहीं हमें नहीं जाना पहले बुला रही थी फिर पलट गई 

पंडित ने कहा-अरे लेकिन क्यों पूछने

लगी कि वैद्य जी के यहां से फायदा हुआ या नहीं .अच्छा तो जब उसने सुना कि हमें बच्चा नहीं हो रहा तो हमें अपने घर बुलाया नहीं .

पंडिताइन ने कहा-उसकी गलती नहीं है जी उसका मुन्ना पैदा हो बीमार पड़ गया था बड़ी मुश्किल से ठीक हुआ ऐसे में उसके मुंडन के वक्त हमें बुलाने में तो संकोच करेगी ही ना नहीं .

पंडित ने कहा-उमा यह सब अंधविश्वास है हमारी कोई औलाद नहीं है तो क्या हम सबके लिए आप शगुन हो गए हैं 

पंडिताइन ने कहा- यह तो मुझे नहीं पता जी लेकिन इतना जरूर जानती हूं कि जरूर कोई ना कोई बड़ा पाप हुआ है मुझसे जो शादी के 10 सालों के बाद भी मुझ झ बागन की गोद सुनी है उमा की आंखों में आंसू थे और जब यह आंसू उसके बस

से बाहर हो गए तो वह मुंह छिपाकर अंदर कमरे में चली गई

 सोमनाथ के लिए भी यह तकलीफ काफी बड़ी थी एक तो संतान हीन होने का दुख और ऊपर से गांव वाले भी अब सोमनाथ और उमा से किनारा करने लगे थे .लोगों ने धीरे-धीरे सोमनाथ को पूजा पाठ के लिए बुलाना कम कर दिया जिसकी वजह से सोमनाथ के लिए घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा था 

पंडित ने कहा- अरे राम किशोर जी मैंने सुना बड़े बेटे का जनव संस्कार करवा रहे हो मुझे याद नहीं किया आपने 

राम किशोर जी ने कहा- वो पंडित जी दरअसल वह हरि प्रकाश जी से बात हो गई तो वही करवा रहे हैं 

पंडित ने कहा- लेकिन राम किशोर जी अब तक तो आपके घर के सारे काम मैं ही करवाता आया हूं फिर अब क्या

 हुआ 

राम किशोर जी ने कहा- देखो पंडित जी पूरा गांव भले ही लाग लपेट करे लेकिन मैं आपसे झूठ नहीं बोलूंगा आपसे पूजा पाठ करवाने में  डर लगता है संतान सुख ना मिलना एक श्राप है श्राप .मेरी मानो तो फिलहाल लग के अपने लिए पूजा पाठ करो 

संतान के सुख से वंचित सोमनाथ और उमा वैसे ही काफी तकलीफ में थे ऐसे में लोगों का इस तरह मुंह मोड़ लेना उनके लिए घाव पर नमक की तरह था 

सोमनाथ उदास होकर घर लौट आया और भगवान शिव के सामने हाथ जोड़कर बैठ गया हे भोलेनाथ क्या कमी रह गई मेरी भक्ति में जो इतना बड़ा दुख झेलना पड़ रहा है बिना बच्चे की किलकारी के यह घर ,घर नहीं

लगता .कमाई के नाम पर भी कुछ नहीं है खाने पीने तक की परेशानी हो गई है अब आप ही कुछ रास्ता दिखाइए शिवशंभू 

सोमनाथ भगवान शिव से प्रार्थना कर ही रहा था कि तभी घर का दरवाजा किसी ने खटखटाया सोमनाथ ने जाकर देखा तो एक बूढ़े बाबा दरवाजे पर खाना लेकर खड़े थे

पंडित ने कहा-  प्रणाम जी बताइए 

बूढ़े बाबाने कहा- जीते रहो बेटा मेरा नाम रामेश्वर है मैं पास के गांव हरिपुर से आया हूं मैंने मन्नत मांगी थी कि मेरा पोता हो जाएगा तो पूरे 100 पंडितों को खाना खिलाऊंगा किसी ने तुम्हारे बारे में बताया तो चला आया यह लो यह खाना लाया हूं 

पंडित ने कहा-  आपक| बहुत-बहुत शुक्रिया बाबा .भोले बाबा

आपकी हर इच्छा पूरी करें 

सोमनाथ को खाना देकर रामेश्वर वहां से चले जाते हैं 

सोमनाथ और उमा खाने के लिए बैठने ही वाले थे कि तभी सोमनाथ ने उमा से कहा ,उमा काश भोले भंडारी ने जैसे उन बाबा की इच्छा पूरी की वैसे ही मेरी भी कर दें .

पंडित ने कहा-  मैं प्राण लेता हूं कि कि अगर मेरी पिता बनने की इच्छा पूरी हो गई तो मैं आने वाली महाशिवरात्रि पर भगवान त्रियंबकेश्वर के दर्शनों के लिए जाऊंगा और वहां जाकर 100 गरीबों को दान करूंगा 

पंडिताइन ने कहा- कहां से करोगे फिलहाल तो हमारी हालत दान लेने की है देने की नहीं. आज तो इस खाने से काम चल जाएगा लेकिन आगे के लिए कुछ तो सोचना होगा जी 

पंडित ने कहा- हां उमा मैं सोच रहा

 हूं कि घर के पीछे जो थोड़ी सी जमीन है अपने पास जमींदार जी से थोड़े पैसे उधार लेकर उस पर खेती शुरू करता हूं 

पंडिताइन ने कहा- ठीक है जी मैं भी आपकी मदद करूंगी 

सोमनाथ और उमा के पास और कोई रास्ता नहीं था. गांव के जमींदार से पैसे कर्ज पर लेकर सोमनाथ ने खेती करना शुरू कर दिया जिससे धीरे-धीरे खाने का जुगाड़ होने लगा उमा भी सारा दिन सोमनाथ की खेत में मदद करने लगी लेकिन एक दिन अचानक खेत में काम करते हुए उमा चक्कर खाकर गिर पड़ी सोमनाथ फौरन उसे घर ले गया और फिर

पंडित ने कहा-  अम्मा अम्मा उमा ठीक तो है ना .क्या हुआ उसे 

 अम्मा ने कहा- अरे सोमू बेटा ,अब खुश हो जा भोले बाबा की कृपा

बरसी है उमा मां बनने वाली है 

बूढ़ी अम्मा के शब्द जैसे सोमनाथ के लिए अमृत की तरह बरस रहे थे उसने सबसे पहले जाकर भोले बाबा के सामने सिर झुकाया और फिर उमा के पास जाकर बोला उमा मैं बहुत खुश हूं अब कोई दुख नहीं .कोई परेशानी नहीं .आखिर भोले भंडारी ने अपने इस भक्त की पुकार सुनही ली

 पंडिताइन ने कहा-जी जी मैं भी बहुत खुश हूं लेकिन इस खुशी में हमें अपनी मन्नत के बारे में नहीं भूलना है याद है ना इस महाशिवरात्रि पर आपको भगवान त्र बकेश्वर के दर्शनों के लिए जाना है और वहां जाकर 

पंडित   ने कहा-मुझे सब याद है उमा मैं अपनी मन्नत पूरी करूंगा ,जरूर करूंगा महाशिवरात्रि आने में कुछ ही दिन

 बचे थे 

सोमनाथ जी जान से खेती में लग गया गांव के ए क आद घर से पूजा पाठ करवाने के लिए भी अब उसे बुलाया जाने लगा लेकिन फिर भी वह सही समय तक इतने पैसों का इंतजाम नहीं कर पाया कि अपनी मन्नत पूरी कर सके .खेती के लिए उसने पहले से ही कर्ज ले रखा था जिसे अभी चुकाना बाकी था इसलिए वह अपनी मन्नत के लिए और कर्ज भी नहीं ले सकता था 

सोमनाथ को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इतनी जल्दी वह अपनी मन्नत कैसे पूरी करेगा महाशिवरात्रि से ठीक एक दिन पहले वह गांव के ही शिव मंदिर में गया और हाथ जोड़कर भगवान शिव से बोला आपकी लीला अपरंपार है भोले भंडारी शायद मैं ही आपकी

भक्ति ठीक से नहीं कर पाया मैं अपना प्रण पूरा करना चाहता हूं मेरी मदद कीजिए प्रभु, मदद कीजिए मेरी 

सोमनाथ भगवान शिव की प्रतिमा के सामने फूट फूट कर रोने लगता है तभी उसे अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस होता है सोमनाथ पलट कर देखता है तो सामने रामेश्वर यानी वही बूढ़े बाबा खड़े थे जो उस दिन सोमनाथ के घर खाना लेकर आए थे 

सोमनाथने कहा- बेटा तुम यहां बड़े सही वक्त पर मिले हो सुनो मुझे तो री मदद की जरूरत है 

पंडित  ने कहा-जी जी बताइए मैं क्या कर सकता हूं 

सोमनाथने कहा- बेटा इस महाशिवरात्रि पर मेरी भगवान त्रियंबकेश्वर के दर्शनों की बड़ी अभिलाषा है अब मेरे बेटे को अपने काम से ही फुर्सत

 नहीं वह शहर में काम करता है ना और अकेले जाने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही तो क्या तुम मुझे ले चलोगे तुम्हारा आने जाने और खाने पने का खर्चा मेरा और मैं तुम्हें इसके अलावा भी कुछ पैसे दे दूंगा 

पंडित  ने कहा-बाबा आप साक्षात देवता स्वरूप बनकर आए हैं मैं चलूंगा आपके साथ ,बिल्कुल चलूंगा 

सोमनाथ अब बहुत खुश था वह महाशिवरात्रि से एक दिन पहले ही रामेश्वर के साथ भगवान त्रयंबकेश्वर की यात्रा के लिए निकल पड़ा वहां पहुंचकर महाशिवरात्रि के दिन उसने पूरे विधि विधान से भगवान शिव के त्रयंबकेश्वर स्वरूप की पूजा की और फिर रामेश्वर से मिले पैसों से पूरे 100

गरीबों को दान करके अपना प्रण पूरा कर लिया फिर गांव वापस आने के बाद बाबा आप नहीं जानते आपने मेरी कितनी बड़ी मदद की है चलिए मेरे साथ मेरे घर चलिए मैं आपका सत्कार करना चाहता हूं नहीं बेटा अभी तो घर जाऊंगा खुश रहो 

रामेश्वर सोमनाथ को उसके घर छोड़ने के बाद अपने घर की तरफ चले जाते हैं सोमनाथ को अब सारा गांव पहले की तरह पूजा पाठ के लिए बुलाने लगा साथ ही खेती भी बहुत अच्छी हो रही थी .सोमनाथ ने कुछ ही महीनों में अपना सारा कर्ज चुका दिया और फिर सही समय पर उमा ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया 

पंडित  ने कहा-वाह उमा देखो क्या तेज है इसके चेहरे पर

  पंडिताइन ने कहा-होगा क्यों नहीं भोले बाबा का वरदान जो है 

सोमनाथ ने पिता बनने की खुशी में पूरे गांव में मिठाइयां बांटी और फिर एक मिठाई का डिब्बा लेकर पास वाले गांव हरिपुर जा पहुंचा 

 पंडितने कहा-अरे भाई जरा सुनो यह रामेश्वर जी का घर कहां है वो जिनका बेटा शहर में काम करता है 

 ग्रामीण ने कहा-क्या कहां रामेश्वर भाई यहां तो इस नाम का कोई भी नहीं रहता क्या कह रहे हो मुझे तो इसी गांव के बारे में बताया था उन्होंने वो वो वो काफी बड़े आदमी हैं और इसी गांव में रहते हैं

 ग्रामीण ने कहा-देखो भाई मैं इस गांव में हर किसी को जानता हूं लेकिन किसी रा में श्वर को नहीं फिर भी तुम्हें तसल्ली नहीं है तो जाकर

खुद ढूंढ लो 

सोमनाथ पूरे गांव में हर घर में जाकर पूछता है लेकिन उस ग्रामीण की बात सही थी पूरे हरिपुर में रामेश्वर नाम का कोई भी इंसान मौजूद ही नहीं था गांव भर में घूमने के बाद सोमनाथ को जैसे ही एक शिव मंदिर दिखाई दिया तो वहां पहुंचकर उसे सब कुछ समझ आ गया रामेश्वर कोई और नहीं बल्कि खुद भोले बाबा ही थे जो अपने भक्त का साथ देने आए थे 

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