महाकाली और गरीब बुढ़िया

महाकाली और गरीब बुढ़िया

 

गीता एक गरीब बुढ़िया थी जो हमेशा देवी मां की पूजा किया करती थी गीता के बेटा बहू एक एक्सीडेंट में चल बेस फिर उसकी पोती उसके पास ही रहने लगी अब उसकी पोती भी बड़ी हो चुकी थी गीता अपनी पोती की शादी करना चाहती थी तो वो देवी मां से कहती है है देवी मां मेरी पोती अब बड़ी हो गई है मैं चाहती हूं इसके योग्य व मिले मैं इसके हाथ पीले कर दूंगी और मैं अपने फर्ज से मुक्त हो जाऊंगी हेमा मेरी बेटी की शादी जल्दी ही हो गई तो मैं नवरात्रि के सारे व्रत रखूंगी गीता ऐसा बोलकर माता के चरणों में प्रणाम करती है और उठ कर चली

(06:47) जाति है तभी उसकी पोती उससे कहती है दादी मां अब देवी मां की इतनी भक्ति करती हो क्या एक बार में ही लोगों की बात सुनती है क्या हां बेटा देवी मां सब की विनती सुनती है वह मेरी भी जरूर सुनेगी और बेटा तुम्हें भी देवी मां की पूजा करनी चाहिए और उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए दादी मां मैं तो नहीं जानती की देवी मां सबकी सुनती है या नहीं पर अगर आपका उन पर इतना अटूट विश्वास है तो मैं भी उनकी पूजा जरूर करूंगी बहुत अच्छे मेरे बच्चे तो अब देखना देवी मां तुम्हारे जीवन को कितना सुंदर बना देगी और जल्द ही एक योग्य व से तुम्हारी शादी करवा देंगे ऐसा कहकर गीता

(07:29) सो जाति है तभी रात में उसे यमदूत जी दिखाई देते हैं और गीता से बोलते हैं गीता चलो मेरे साथ हम तो मैं लेने आए हैं आप कौन हैं मुझे अपने साथ क्यों लेकर जाना चाहते हो और हमें यमराज जी ने तुम्हारे प्राण लेने के लिए भेजो है अब तुम्हारा समय पूरा हो चुका है इसलिए हम तुम्हें लेने आए हैं मेरी पोती विवाह योग्य है और उसका इस दुनिया में मेरे अलावा कोई नहीं है अगर आप मुझे अभी लेकर चले गए तो मेरी पोती की शादी कैसे होगी मैं चाहती हूं मेरी पोती की शादी मेरी आंखों के सामने हो जाए जिससे उसे बाद में कोई परेशानी ना हो हमारे महाराज यमराज जी का आदेश है की

(08:18) तुम्हारे प्राणों को हर लिया जाए और तुम्हें हमारे साथ चलना ही होगा हम कुछ नहीं सुना चाहते वैसे भी यमराज जी के फैसला के विरुद्ध हम नहीं जा सकते मैं तुम्हारे साथ अभी नहीं जा शक्ति मुझे मेरे फर्ज पूरे करने हैं मेरे साथ चलना ही होगा या तो प्यार से अन्यथा जबरदस्ती नहीं नहीं महाकाली मेरी रक्षा करो आप तो जानती हो मेरी पोती का मेरे अलावा कोई नहीं है मुझे मौत से डर नहीं लगता लेकिन मेरे करने के बाद मेरी पोती का क्या होगा है देवी मां मेरी रक्षा करो हमारी बात मां लो हम कल के दूध हैं तुम्हें हमारे साथ चलना होगा अगर तुम कल

(09:02) के दूध हो तो मैं भी महाकाली की पुजारन हूं जो कल से भी बड़ी है और तुम देख लेना वह मेरी रक्षा अवश्य करेगी ठीक है अगर तुम चाहती हो तो हम तुम्हारे साथ जबरदस्ती करें तो यह भी सही है पर हम अपने प्रभु का कहना अवश्य ही मानेंगे फिर यह दूध बुढ़िया को छूट हैं उन्हें एक जोर का झटका लगता है यह कैसा झटका था आज तक हमने इतने लोगों के प्राण हैं लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ आखिर ये सब कैसे हो रहा है तभी महाकाली की आवाज यमदूत के कानों में पड़ती है या दूध मैं तुम्हें आदेश देती हूं की तुम अभी गीता के प्राणों को नहीं हारोगे जब मेरा आदेश होगा

(09:43) तब तुम गीता की प्राणों को ले जाना पर तब तक तुम इसको कोई नुकसान नहीं पहुंचाओगे तुम कौन हो जो हमें ऐसे आदेश दे रही हो हम सिर्फ अपने प्रभु यमराज का आदेश मानते हैं उनके अलावा किसी का नहीं मानते मैं ही दुर्गा हूं मैं ही काली मैं ही महाकाली हूं मैं महाकाल से परी हूं मैं ही सर्वप्रथम शक्तिशाली हूं यह सुनकर यमदूत समझ जाते हैं और वो हाथ जोड़कर बोलते हैं मुझे क्षमा करें माता मैं आपको पहचान नहीं पाया जय महाकाली इतना कहकर यमदूत वहां से यमराज जी के पास चले जाते हैं तुमसे कहा था की उसे बुढ़िया के प्राण लेकर ए जाना पर तुम तो खाली हाथ ही ए गए

(10:27) अब तुम अपने प्रभु का आदेश नहीं मानते तुम उसके प्राण क्यों नहीं लेकर आए हम गए थे महाराज पर महाकाली का आदेश था जब तक उसे बुढ़िया के प्राणों को नहरे जैन जब तक महाकाली आदेश ना करें ऐसा कैसे हो सकता है कोई भी देवी देवता मेरे कार्य के विरोध नहीं जाते ना ही कोई बड़ा डालते हैं तो फिर इस बार महाकाली ऐसा क्यों कर रही है यमदूत पता नहीं महाराज लेकिन हम महाकाली की याद आई इसके विरुद्ध नहीं जा सकते इसलिए हम वापस ए गए हैं एक है हम स्वयं ही उसे बुढ़िया के ब्रांड लेने जाते हैं देखते हैं महाकाली हमें कैसे रुकते हैं फिर यमराज बुढ़िया की घर

(11:11) पहुंच जाते हैं और उसके प्राणों को हारने की कोशिश करते हैं लेकिन जैसे ही वह बुढ़िया के शरीर को छूट हैं तो यमराज के शरीर में कंपन ए जाति है जी करण यमराज क्रोधित होकर कहते हैं जो मुझे इसके ब्रांड लेने से रॉक रहा है सामने आओ जो भी मेरे कार्य में बड़ा बन रहा है अंजाम सही नहीं होगा नहीं हारोगे पर महाकाली यह हनी है यह तो होकर ही रहेगी इसे तो कोई नहीं ताल सकता इसे ना तो आप ताल शक्ति हैं ना तो मैं यही विधि का विधान है फिर यमराज बुढ़िया की दोबारा प्राण चीन की कोशिश करते हैं तो महाकाली गुस्से में ए जाति है और यमराज जी के शरीर को बहुत छोटा बना देते हैं यह

(12:04) देखकर यमराज जी बहुत घबरा जाते हैं और गायब होकर ब्रह्मदेव के पास पहुंचने हैं और बीती हुई घटना ब्रह्मदेव को बताते हैं आप जानते हैं मां दुर्गा समस्त शक्ति है और समस्त शक्ति की संरचना भी वही है अगर आपको पहले की तरह होना है और महाकाली के इस बंधन से मुक्ति पानी है तो आपको मां दुर्गा का ध्यान करना होगा वही आपको इससे मुक्ति कर शक्ति हैं ठीक है ब्रह्मा जी आप जैसा कहेंगे हम वैसा ही करेंगे हम दुर्गा माता का ध्यान करेंगे और को प्रश्न करेंगे यमराज जी कल से नवरात्रि शुरू होने वाले हैं देवी मां को खुश करने के लिए ये 9 दिन

(12:50) बहुत महत्वपूर्ण है आप मां दुर्गा का नो रूपन की आराधना करो मां आपके कासन का निवारण अवश्य करेंगे फिर यमराज जी मां दुर्गा के नवरात्रों को रखना शुरू करते हैं उधर गीता भी सुबह उठाती है और बोलती है क्या सच में कल रात यमदूत मेरे प्राणों को लेने आए थे पर अगर वो सच में थे तो बिना मेरे प्राण लिए वापस कैसे चले गए जो भी हो यह सब मेरी महाकाली का चमत्कार है फिर गीता भी बड़ी श्रद्धा से महाकाली के नवरात्र के व्रत पूर्ण करती है यमराज जी के नवरात्रि पूरे होते ही दुर्गा मां उनके सामने प्रकट होती है यमराज जी मैं तुम्हारी आराधना से प्रश्न हूं बताओ

महाकाली और गरीब बुढ़िया

 

(13:35) तुम्हें क्या वरदान चाहिए मुझे मेरा पहले जैसा ही शरीर चाहिए मैंने अज्ञानता में गलती कर दी मुझे क्षमा कर दे मां महाकाली मैं महाकाली की शक्ति को पहचान नहीं पाया हेमा मुझे क्षमा करें यमराज जी महाकाली मेरा ही एक स्वरूप है महाकाली के शक्ति के सामने महादेव भी नमन करते हैं पर यमराज जी मैं आपका पश्चाताप देखकर आपकी भूल को क्षमा करती हूं और आपको आदेश देती हूं की जब तक बुढ़िया की पोती की शादी नहीं हो जाति तुम उसके प्राणों को नहीं हारोगे फिर महाकाली मां दुर्गा की बात मानकर यमराज जी को पहले जैसा बना देती है फिर कुछ दोनों में बुढ़िया को एक अचानक

(14:19) वर्ण मिल जाता है और वो अपनी पोती की शादी कर देती है फिर यमराज जी बुढ़िया के सामने प्रकट होते हैं अब मुझे चलने में कोई संकोच नहीं है जय महाकाली मैं जानती हूं आपने उसे वक्त मेरे प्राणों की रक्षा की थी आप अपने समस्त भक्तों पर ऐसे ही कृपा बनाए रखें जय हो महाकाली की [

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