माँ काली ने खाया ब्रह्मा विष्णु महेश को | Hindi Kahani | Moral Stories | Bhakti Stories | Kahaniya

माँ काली ने खाया ब्रह्मा विष्णु महेश को | Hindi Kahani | Moral Stories | Bhakti Stories | Kahaniya

कहा जाता है जब धरती पर पाप बहुत बढ़ गए

अच्छाई और बुराई के बीच संतुलन समाप्त

होने लगा राक्षस पृथ्वी पर खुलेआम घूमने

लगे और निर्दोष लोगों की पीड़ा असहनीय हो

गई स्वर्ग लोक के सभी देवी देवता भी

पृथ्वी की इस स्थिति को देखकर घबरा गए

राक्षस की बुरी शक्तियों पर देवताओं के

लिए विजय पाना असंभव था यहां तक कि

ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों त्रिदेव भी

उन राक्षसी मायावी शक्तियों का सामना नहीं

कर पा रहे थे

हम सबको मां काली का आहवान

करना चाहिए और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए

कि वह पृथ्वी पर बढ़ रहे राक्षसों के

अत्याचार से हम सभी को मुक्ति दे

आप ठीक

कह रहे हैं ब्रह्मदेव इन राक्षसों की

शक्तियां इतनी प्रबल है कि इनका सामना

करना हम सबके लिए असंभव हो गया है अब हमें

देवी काली का आह्वान करना होगा

पर देवी

काली तो महा तपस्या में लीन है हमें

उन्हें जगाना होगा मंत्र उच्चारण करके

उनसे प्रार्थना करनी होगी हम सब देवी काली

को बुलाने के लिए मंत्रों का जाप करेंगे

तीनों देवताओं ब्रह्मा विष्णु और महेश ने

मां काली को बुलाने के लिए मंत्रों का

उच्चारण करना प्र किया हे देवी काली धरती

के प्राणियों को आपकी सहायता की आवश्यकता

है अपनी आंखें खोलो माता पृथ्वी को

राक्षसों के अत्याचार से मुक्त करो

आपकी

शक्ति अपार है और केवल आप ही इस पृथ्वी को

विनाश से बचा सकती हो

हे काली हमारी विनती

सुनो संसार को आपकी आवश्यकता है तीनों

देवों की प्रार्थना सुनकर माता काली प्रकट

हो

उनका रौद्र रूप बहुत ही भयंकर था और उनकी

आंखें क्रोध की अग्नि से जल रही थी

 

कौन है

जो मुझे बुला रहा है किसने मुझे जगाने की

चेष्टा की है

देवी काली सृष्टि बुराई में

डूब रही है हम इसे रोकने में असमर्थ है

हमें आपकी शक्ति की आवश्यकता है राक्षसों

ने पृथ्वी पर कब्जा कर लिया है और निर्दोष

लोगों की चीखें स्वर्ग को चीर रही हैं

केवल आप ही उन्हें से मुक्ति दे सकती है

अपनी शक्ति का उपयोग करें और राक्षसी

शक्तियों को परास्त करें

आप सब निश्चिंत

हो जाइए मैं दैत्यों को उनके पाप का दंड

अवश्य दूंगी ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों से

आज्ञा लेकर मां काली पृथ्वी लोक पर

पहुंचती हैं उस समय चं मुंड आदि दैत्यों

ने पृथ्वी पर बहुत उत्पाद मचाया हुआ था

मां काली सभी दैत्यों का विनाश करना

प्रारंभ कर देती है धीरे-धीरे यह खबर चंड

मुंड दैत्यों तक पहुंच जाती है मां काली

ने नरमुंड की माला पहनी थी उनकी लाल जीभ

लपल पाकर सबको भय से भर रही थी ऐसी महा

भयंकर देवी ने युद्ध में उतरते ही दैत्यों

के झुंड को एक साथ मारना कुचलना और खाना

शुरू कर दिया देखते ही देखते असुरों की

आधी सेना पल भर में साफ हो गई सारी सेना

का संघार होते देख चं अपने हाथों में

तलवार ले देवी से युद्ध करने के लिए आगे

बढ़ा

उसने देवी पर वार किया किंतु देवी ने उसकी

तलवार को काट कर फेंक दिया आज मेरे हाथों

तेरा विनाश

होगा देखती हूं किसका विनाश होगा अपनी

सारी शक्तियां लगा ले तब चं ने बाणों से

देवी पर प्रहार किया किंतु देवी ने भी

अनायास ही उसके सारे बाणों को काट कर फेंक

दिया इस तरह देवी और चं में युद्ध चला

देवी काली ने तलवार के एकवार से मुंड का

सिर धर से अलग कर दिया ंड मुंड के मरते ही

दैत्यों में हाहाकार मच गया माता काली

अपना उत्पाद जारी रखती हैं उनका क्रोध

बेकाबू होता जाता है वह सभी राक्षसों को

मार कर खाने लगी राक्षसों का खून उन्हें

मदहोश कर देता है उन्हें आसपास असुर ही

दिखाई दे रहे थे वह केवल इतना जानती थी कि

आज उन्हें असुरों का संहार करना है

ब्रह्मा विष्णु और महेश विस्मय और भय से

देखते हैं क्योंकि माता काली का क्रोध

असीम हो जाता है

हमें कुछ करना चाहिए देवी काली का क्रोध

दैत्यों के साथ-साथ निर्दोष प्राणियों को

भी नुकसान पहुंचा रहा है अगर देवी काली के

क्रोध को रोका नहीं गया तो दुनिया नष्ट हो

जाएगी तीनों देवता माता काली के पास जाते

हैं और उनके क्रोध को शांत करने का प्रयास

करते हैं परमा काली राक्षसों का वध करते

हुए अपने आप को भी भूल गई यहां तक कि वह

ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवताओं को भी

नहीं पह जान पाती है आज सृष्टि को

राक्षसों से मुक्त कर दूंगी तभी मेरे

क्रोध का अंत होगा मैं तुम सबको खा जाऊंगी

सबका खून पी जाऊंगी तुम सबको खा जाऊंगी

सबका खून पी जाऊंगी देवी काली राक्षसों का

अंत हो चुका है अपने क्रोध को शांत करो

देवी काली चंड मुंड सहित सभी राक्षसों का

वध करके आपने सृष्टि को राक्षसों से मुक्त

कर दिया है अब इस क्रोध से बाहर आओ देवी

काली आपके द्वारा दोषियों के साथ-साथ

निर्दोष प्राणी भी आपके क्रोध का शिकार बन

रहे हैं अपने क्रोध को शांत करो देवी शांत

हो जाओ मैं तुम सबको खा जाऊंगी सबका खूनन

पी जाऊंगी तुम सबको खा जाऊंगी सबका खून पी

जाऊंगी मां काली उस समय इतने क्रोध में थी

कि उन्हें कुछ भी उचित और अनुचित में फर्क

दिखाई नहीं दे रहा था उनके सामने खड़े

तीनों देवता ब्रह्मा विष्णु और महेश

उन्हें रोकने का प्रयास कर रहे थे उनके

क्रोध को शांत करने की चेष्टा कर रहे थे

परंतु अनियंत्रित क्रोध के आवेश में मां

काली ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों

देवताओं को भी खा जाती है जब मां काली ने

ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवताओं को

निगल लिया तो धरती पर अंधकार झा गया अचानक

मां काली को एहसास हुआ कि उन्होंने कुछ

गलत कर दिया है मैंने यह क्या कर दिया

मैंने क्रोध में आकर ब्रह्मा विष्णु महेश

सृष्टि के तीनों कर्ता धरता को निगल

लिया ये अनहोनी मेरे द्वारा कैसे हो गई

पश्चाताप में वह ब्रह्मा विष्णु और महेश

को मुक्त करती हैं और उन्हें उनके दिव्य

रूपों में वापस लाती है मुझे क्षमा कर

दीजिए पता नहीं क्रोध की ज्वाला में मैं

सब कुछ भूल गई देवी काली आपका क्रोध इस

सृष्टि के लिए कारगर है क्योंकि यह क्रोध

सृष्टि को पाप से मुक्त करने के लिए ही

आपके द्वारा बनाया गया है आप साक्षात

जगदंबा हो आपने दुष्टों का संहार करके इस

सृष्टि को बचाया है आपका रद्र रूप सृष्टि

को संदेश देता है कि हमें अपने क्रोध का

उपयोग सही स्थान पर करना चाहिए आपका

चरित्र सृष्टि के प्राणियों को यह प्रेरणा

देता है कि हमें अपने क्रोध को वश में

करना चाहिए आपका स्वरूप सृष्टि के

प्राणियों को एक और संदेश देता है देवी कि

हमें कभी भी बुराई के आगे शीश नहीं झुकाना

चाहिए सदैव बुराई का सामना करना चाहिए

आपका काली स्वरूप शक्ति की परिभाषा है यह

परम सत्य है जबजब इस धरती पर पाप बढ़ेगा

आप काली रूप में दुष्टों का विनाश करेंगी

वो देखिए देवी यह संपूर्ण जगत आपकी जय

जयकार कर रहा है संपूर्ण जगत जय मां काली

के जयकारे से गूंजने लगता है इसके पश्चात

सभी देवी देवता मां काली पर फूलों की

वर्षा करके उनकी स्तुति और गुणगान करते

हैं एक गांव में जानकी नामक एक गरीब विधवा

अपने बेटे सूरज के साथ रहती थी पति के

गुजर जाने के बाद जानकी घरों में चौका

बर्तन करके अपना परिवार चला रही थी जानकी

सदैव भगवान की पूजा किया करती थी उसके घर

में ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिदेव की एक

फोटो थी जिसके आगे वह हर सुबह उठकर दीपक

जलाया करती थी और नियम पूर्वक जो भी रूखा

सूखा बनाती वह भोग लगाकर ही खाती थी सूरज

था तो छोटा पर समझदार बहुत था वह अपनी मां

को अक्सर ऐसा करते देखता था मां तुम भगवान

की पूजा क्यों करती हो इसलिए बेटा ताकि

भगवान हमें हर मुसीबत से बचाएं मां क्या

भगवान हमें सारी मुसीबतों से बचा लेते हैं

हां बेटा भगवान हमारी हर मुसीबत में रक्षा

करते हैं अपनी मां से बातें करते-करते

सूरज सो जाता है अगले दिन जानकी काम पर

चली जाती है एक दिन सूरज की तबीयत खराब थी

पर वह दवाई खाने के लिए लगातार मना कर रहा

था सूरज बेटा अगर दवाई नहीं खाओगे तो कैसे

ठीक होगे मां तुम ही तो कहती हो कि भगवान

हमें सारी मुसीबतों से बचा लेते हैं तो वह

मुझे ठीक कर देंगे मैं दवाई नहीं खाऊंगा

दवाई बहुत कड़वी होती है अरे तुम्हें नहीं

पता कि भगवान जीने तो मुझ यह दवाई दी है

कि इसे सूरज को खिला देना उसके बाद वह

बिल्कुल ठीक हो जाएगा वो देखो दवाई की

पुड़िया भगवान के मंदिर में रखी है ना और

उन्होंने साथ में कटोरी में चीनी भी रखी

है अगर तुम्हें दवाई कड़वी लगी तो मैं

तुम्हें चीनी खिला दूं वह देखो क्या सचमुच

भगवान जी ने यह दवाई दी है ठीक है फिर तो

मैं यह दवाई खा लूंगा मां मुझे वह वाली

चीनी भी दो हे ईश्वर मुझे क्षमा करना

मैंने आपका नाम लेकर सूरज को दवाई खिलाई

है मैं जानती हूं आप मेरे बच्चे को जल्दी

ठीक कर दोगे हे पालनहार हे ब्रह्मा विष्णु

महेश आपकी सदा ही जय हो दवाई खाकर सूरज

ठीक हो जाता है मां भगवान जी की दवाई से

तो मैं बिल्कुल ठीक हो गया मुझे बहुत

जोरों से भूख लगी है मुझे दाल चावल खाने

हैं मां अच्छा बेटा आज मैं तेरे लिए दाल

चावल ही बनाऊंगी जानकी उस दिन सूरज के लिए

दाल चावल बनाती है जानकी भगवान को भोग

लगाकर सूरज को खाना देने ही लगी थी कि तभी

गांव का मुखिया आ जा जाता है जानकी कर्जे

के बाकी बचे हुए रुपए तो कब तक लौटा आएगी

तूने अपने पति की बीमारी के लिए मेरे से

5000 रप लिए थे जो अब ब्याज के साथ 15000

हो चुके हैं मुखिया जी आप चिंता मत करो

मुझे कुछ महीनों की मोहलत और दे दो मैं

आपका सारा कर्जा चुका दूंगी ठीक है 15 दिन

बाद 000 दे देना बाकी के बचे हुए पैसे

दो-तीन महीने के अंदर लौटा दे इतना कहकर

मुखिया वहां से चला जाता है जानकी परेशा

हो जाती है कि वह इतनी जल्दी रुपए कहां से

लाएगी जानकी घरों में काम करती थी वहां से

भी एडवांस रुपए मांगती है पर पहले ही वह

महीने के पैसे ले चुकी थी इसलिए मालकिन ने

एडवांस देने के लिए भी मना कर दिया नहीं

नहीं जानकी ऐसे काम नहीं चलता तुम्हें तो

पता ही है सेठ जी पूरे महीने के पैसे एक

साथ देते हैं अब मैं तुम्हें एडवांस में

पैसे दे दूंगी तो मुझे भी तो पूरे टाइम घर

का खर्च चलाना है सेठ जी शहर गए हुए हैं

पीछे से मुझे भी तो पैसों की जरूरत है और

वैसे भी मैं तुझे महीने के पैसे पहले ही

दे चुकीं कोई बात नहीं मालकिन आप परेशान

मत हो ऐसे ही कुछ दिन तक जानकी परेशान

रहती है वह कुछ भी नहीं समझ पा रही थी कि

आखिर वह चौधरी का कर्ज कैसे चुकाए एक दिन

जानकी त्रिदेव की मूर्ति के आगे बैठी रो

रही थी हे प्रभु मैं क्या करूं मुझे कुछ

समझ नहीं आ रहा चौधरी साहब कल मेरे से

कर्जे के 000 मांगने आ जाएंगे पर मेरे पास

उनको देने के लिए बिल्कुल भी पैसे नहीं है

अगर मैंने उन्हें पैसे नहीं दिए तो यह घर

खाली करना पड़ेगा हमें वो हमें यहां से

निकाल देंगे मेरी सहायता करो प्रभु मेरी

सहायता

करो मां तुम रो मत तुम ही तो कहती हो कि

भगवान हमारी हर मुसीबत से रक्षा करते हैं

देखना वह हमें भी इस मुसीबत से निकाल

देंगे पर जब मुखिया पैसे लेने के लिए आया

तो जानकी के पास पैसे नहीं थे मुखिया ने

उसे खूब खरी खोटी सुनाई जानकी मैंने तुझसे

कहा था कि तू कर्जे के 000 तैयार रखना पर

तूने ऐसा नहीं किया कल दोपहर तक अगर तूने

मेरे पैसे नहीं लौटाए तो मैं तुझे पुलिस

के हवाले कर दूंगा समझी मुखिया जी आपको

पता भी है हमारी मदद करने के लिए भगवान जी

आने वाले हैं व आपके सारे पैसे चुका देंगे

सही है सही है बच्चे को भी बहला फुसला रखा

है भगवान आएंगे भगवान आएंगे देखता हूं कल

कौन से भगवान मेरे पैसे चुकाने आने वाले

हैं जानकी रोने लगती है सूरज भगवान

त्रिदेव के पास जाता है और उनसे कहता है

भगवान जी मां कहती है कि आप मुसीबत में

हमेशा सहायता करने के लिए आते हो कल

मुखिया जी मां को पुलिस के हवाले कर देंगे

आप उससे पहले आ जाना मैं आपका इंतजार

करूंगा सूरज भगवान के आगे रोने लगता है और

उसकी दर्द भरी पुकार ब्रह्मा विष्णु महेश

तक पहुंचती है हे नारायण महादेव मासूम

सूरज की करुण पुकार सुनकर मेरा हृदय

द्रवित हो गया है

ब्रह्मदेव सूरज हमें मदद के लिए पुकार रहा

है जान ने सदैव हमारी पूजा और अर्चना की

है अब समय आ गया है कि हम जानकी को उसकी

पूजा का फल दे आप दोनों सत्य कह रहे हैं

जब भी कोई भक्त हमें सच्चे हृदय से

पुकारता है तो हम तीनों उसकी सहायता के

लिए अवश्य जाते हैं और समय आने पर हम

तीनों अपनी भक्त जानकी की सहायता के लिए

अवश्य

जाएंगे अगले दिन मुखिया अपने पैसे लेने के

लिए जानकी के पास आता है पुलिस भी मुखिया

के साथ थी इंस्पेक्टर साहब जानकी मेरे

पैसे नहीं लौटा रही है इसने मेरे 15000

कर्जा चुकाना है इसमें से इसने अब तक रप

का कर्जा भी नहीं चुकाया है अब आप ही

बताइए मैं क्या करूं देखिए जानकी जी

मुखिया जी ने आपके खिलाफ रिपोर्ट लिखाई है

इसलिए आपको हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलना

होगा या तो आप इनके कर्जे में से 000 अभी

दे दो वरना हमें आपको पुलिस स्टेशन ले

जाना ही होगा मुखिया जी कुछ दिन की मोहलत

और दे दो आप तो जानते ही हो मेरी कितनी

परेशानी चल रही है सूरज के बापू के गुजर

जाने के बाद घर का किराया घर खर्च के पैसे

सब घरों में काम करके ही निकाल पाती हूं

मैं आपको वादा करती हूं कुछ दिनों में

आपको पैसे दे दूंगी नहीं नहीं इंस्पेक्टर

साहब मुझे इस पर विश्वास नहीं है यह आज भी

मुझे टाल रही है ना जाने कभी मेरे पैसे

दिए बिना गांव छोड़कर भाग गई तो मैं कहां

ढूंढू इसको फिर आप इसे बोलो मेरे पैसे अभी

दे पुलिस पुलिस अंकल अभी भगवान जी आते

होंगे वह आपके सारे पैसे दे देंगे आप मेरी

मां को मत ले जाओ रे आगे से हटो बेटा चलिए

बहन जी हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलिए अभी

इंस्पेक्टर साहब जानकी को लेकर जा ही रहे

थे कि तभी तीन व्यक्ति वहां आ जाते हैं

रुकिए इंस्पेक्टर साहब आप जानकी को कहीं

नहीं ले जा सकते हैं चौधरी साहब के पैसे

हम दे देंगे यह लीजिए चौधरी साहब आपके

कर्जे के पूरे 000 इंस्पेक्टर साहब अब आप

जान के को छोड़ दीजिए वैसे मैंने आपको

पहचाना नहीं आप जानकी के रिश्तेदार हैं

क्या देखने में तो आप बड़े व्यापारी लग

रहे हैं यह भगवान जी हैं मैं जानता था

भगवान जी हमारी मदद को जरूर आएंगे बच्चा

मासूम

है मुझे क्या मुझे तो अपने पैसों से मतलब

था वह मुझे मिल गए चौधरी और पुलिस वहां से

चले जाते हैं मैंने आपको पहचाना नहीं आप

आज मेरे लिए ईश्वर का रूप बनकर आए आप कौन

है कृपया अपना परिचय दीजिए तभी तीनों

देवता ब्रह्मा विष्णु महेश अपने-अपने रूप

में आ जाते हैं उन्हें देखकर जानकी उनके

चरणों में गिर जाती है यह भगवान जी हैं

मैं जानता था भगवान जी हमारी मदद को जरूर

आएंगे जानकी और सूरज को आशीर्वाद देकर

त्रिदेव अंतरध्यान हो जाते हैं और उनके

चरणों के स्थान पर तीन सोने के सिक्कों से

भरे कलश रखे थे जानकी के ऊपर ब्रह्मा

विष्णु महेश की कृपा हो जाती है और

त्रिदेव का चमत्कार उसके जीवन को खुशियों

में बदल देता है जानकी उस गांव को छोड़कर

दूसरे गांव में चली जाती है और वहां जाकर

नई जमीने खरीदकर खेतीबाड़ी का काम शुरू

करती है सूरज को पढ़ने लिखने के लिए वह

स्कूल में डाल देती है जानकी अक्सर

मंदिरों में भंडारा भी करवाने लगी उसने

अपने जैसे बहुत से गरीबों की मदद की

उन्हें रोजगार दिया जानकी का अब एक ही

सपना था कि वह अपने बेटे सूरज का भविष्य

उज्जवल बनाए

[संगीत]

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