माँ पार्वती का करवा चौथ

माँ पार्वती का करवा चौथ

करवा चौत का व्रत आने वाला था कैलाश पर्वत पर मां पार्वती अपने हाथों में मेहंदी रचा रही थी भगवान शिव उनसे बोले क्या बात है देवी आज आप अपने हाथों पर मेहंदी रचा रही हो कोई खास आयोजन है क्या कल करवा चौ का त्यौहार है स्वामी आपको तो ज्ञात ही है इस व्रत से मेरा कितना लगाव है मैं भी प्रतिवर्ष इस व्रत के आने की आस लगाती हूं ताकि मैं आपकी रक्षा की कामना हेतु और अपने प्रेम को और भी अटूट बनाने के लिए यह व्रत कर सकू देवी आप तो मेरी शक्ति है आपके और मेरे प्रेम का तो जन्मों जन्मों का संबंध है आपकी भक्ति मेरे हृदय

(08:23) को छू जाती है देवी आपकी भक्ति प्रेरणादायक है जो पृथ्वी पर प्रत्येक स्त्री का अपने पति के लिए प्रेम और समर्पण का प्रतीक है स्वामी मैं चाहती हूं इस बार मैं इस व्रत को पृथ्वी लोक पर करूं मेरी बहुत इच्छा है कि मैं भी मनुष्य रूप में सभी स्त्रियों के साथ इस व्रत की पूजा करूं

जैसे आपकी इच्छा देवी पार्वती यदि आपकी पृथ्वी लोक पर यह व्रत मनाने की इच्छा है तो आपको पृथ्वी लोक पर अवश्य जाना चाहिए ठीक है स्वामी तो फिर मैं तैयार हो जाती हूं कल प्रात ही मैं धरती लोक पर करवा चौत का का व्रत मनाने के लिए चली जाऊंगी अगले दिन सुबह ही मां पार्वती

माँ पार्वती का करवा चौथ

(09:03) एक बहुत सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लेती हैं और धरती लोक पर एक गांव में पहुंचती है वहां पर करवा चौथ की बहुत चहल-पहल थी हर स्त्री ने 16 श्रृंगार किए हुए थे सुंदर साड़ी हाथों में कांच की चूड़ियां गले में मंगलसूत्र पैरों में बिछु पायल और तरह-तरह के श्रृंगार सभी औरतें आपस में बातें कर रही थी अरे बहन चलो सब लोग मिलकर वहां घेरा बना लेते हैं पूजा का समय हो रहा है हां बहन तुम भी पहुंचो मैं अपनी बहू को लेकर आ रही हूं तभी एक औरत की नजर मां पार्वती पर जाती है अरे बहन आओ ना तुम भी हमारे साथ करवा चौथ की कथा सुनो बस पूजा प्रारंभ ही

(09:42) होने वाली है हां हां मैं आपके साथ चलती हूं तुम तो बहुत सुंदर लग रही हो पहली बार देखा है इस गांव में किसी की बहू हो क्या मां पार्वती अभी कुछ कहती इससे पहले एक औरत ने आवाज लगा ली अरे बहन जल्दी आओ पूजा का समय निकला जा रहा है हम सब बैठ गए हैं चलो चलो बाद में बात करते हैं अभी सब पूजा के लिए बुला रहे हैं कितना आनंद आ रहा है इन सबके साथ करवा चौथ का व्रत मनाने में अद्भुत सब कितने अच्छे स्वभाव की हैं इन सबके बीच मैं भी पूजा के लिए बैठ जाती हूं मां पार्वती सबके साथ पूजा के लिए बैठ जाती हैं सब मिलकर कर्मा चौथ की व्रत कथा

(10:19) और पूजन आरती करती हैं सचमुच मां पार्वती के आशीर्वाद से व्रत और पूजन बहुत अच्छे से हो गया हे गौरी माता हम सबके सुहाग की ा करना जय करवा माता की जय गौरी मैया की सब औरतें पूजा आरती करके घर जाने लगी पर मां पार्वती जैसे ही कैलाश के लिए लौटने लगी अचानक उसी स्त्री न ने पुकारा अरे सुनो बहन तुम्हारा जल का कलश यही रह गया अरे मैं भूल गई मैं अभी उठा लेती हूं हमारी बात बीच में अधूरी रह गई तुम्हें इस गांव में पहली बार देख रही हूं तुम्हारा घर कहां है मैं इस गांव में नई नई आई हूं कुछ दिन पहले ही यहां रहना शुरू किया है मेरे पति जरूरी काम से शहर गए हुए हैं कुछ

(11:01) दिन बाद लौटेंगे मैं उन्हीं के लिए यह व्रत कर रही हूं अच्छा अच्छा तो तुम ई नई आई हो गांव में एक काम करो तुम हमारे घर चलो मैंने पूरी पकवान बनाए हैं हम सब मिलकर खाएंगे बस कुछ ही देर में चंद्रमा भी निकलने वाला है घर पर तो तुम अकेले उदास हो जाओगी ठीक है चलो मेरे घर चलो मैं और आपके घर हां हां बहन तो क्या हुआ मेरे घर क्यों नहीं मेरे घर को अपना ही घर समझो त्योहार पर अकेले के लिए तुम क्या ही भोजन बनाओगी मैंने तो बहुत कुछ बनाया हुआ है मिलकर खाएंगे अच्छा लगेगा तुम्हारे पति भी शहर में है वैसे कब आएंगे दिवाली से पहले आ जाएंगे उस औरत के इतने अच्छे स्वभाव को

(11:44) देखकर मां पार्वती से रहा नहीं गया वह उसके साथ उसके घर चली गई पर मां पार्वती को तो भगवान शिव की पूजा करनी थी उनसे आशीर्वाद लेना था सब चंद्रमा निकलने का इंतजार कर रहे थे अचानक बहुत तेज आंधी तूफान आने लगा आकाश में काले बादल छा गए अरे सुशीला बहन अब चंद्रमा कैसे पूजेंगे आकाश में तो कुछ भी नजर ही नहीं आ रहा अंधेरी और तूफान से चंद्रमा बादलों में छुप गया है बिना चंद्रमा के दर्शन के हम व्रत कैसे खोलेंगे अब तो एक ही रास्ता है कि मां पार्वती से प्रार्थना करें कि वह हमें चंद्रमा के दर्शन करवा दे चलो हम सब मिलकर मां पार्वती से प्रार्थना करते हैं सब

(12:24) स्त्रियां मां पार्वती से प्रार्थना करती हैं कि आसमान साफ हो जाए और उन्हें चंद्रमा के दर्शन हो जाए सुहागन स्त्रियां भला क्या जाने कि मां पार्वती स्वयं उनके बीच खड़ी है सुहागन स्त्रियों की प्रार्थना मां पार्वती स्वीकार कर लेती हैं उस औरत को साधारण स्त्री के रूप में मां पार्वती साक्षात दिखाई दे रही थी अचानक ही मां पार्वती अंतर्ध्यान हो जाती हैं आंधी तूफान रुक जाता है मानो कुछ हुआ ही ना हो

आसमान साफ हो जाता है और सब स्त्रियों को चंद्रमा के दर्शन होते हैं तभी वह औरत बोली मां पार्वती यह सब आप आप का चमत्कार है मैं जिस स्त्री से बात कर

(13:01) रही थी वह तो साक्षात मां पार्वती थी इसका मतलब मेरे घर में मां पार्वती के चरण पड़े थे हे मैया आपने तो मेरे भाग्य ही खोल दिए आपकी जय हो मां आप हमारे साथ करवा चौथ मनाने के लिए धरती पर आई हां बहन वो जो बहन 16 श्रृंगार किए हुए थी व वास्तव में मां पार्वती थी आज उनके चमत्कार से यह आंधी तूफान रुक गया और हमें चंद्रमा के दर्शन हुए चलो हम सब मिलकर मां पार्वती को धन्यवाद कहते हैं यह तो हम सबका सौभाग्य है कि मां पार्वती ने हम सबके साथ मिलकर करवा चौथ का व्रत और पूजन किया उधर मां पार्वती भी कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की पूजा करती है और उनके हाथों से जल और भोजन

(13:45) ग्रहण करके अपने करवा चौथ के व्रत को पूर्ण करती [संगीत] हैं

Leave a Comment