जवाब नहीं लड्डू गोपाल अपने भक्तों के साथ
बहुत खुश रहते हैं और उन्हें खुशियां देते
भी हैं ऐसी कहानी है यशोदा और नंद की
जिनकी खुशियों के लिए लड्डू गोपाल को एक
साधारण बालक का रूप धारकर आना पड़ा और
स्कूल भी जाना पड़ा
गोकुल गांव में यशोदा और नंद रहते थे
दोनों की शादी को 4 साल बीट गए थे लेकिन
उनकी कोई संतान नहीं थी यशोदा और नंद
दोनों लड्डू गोपाल के परम भक्ति बेरोज
अपने घर में लड्डू गोपाल को स्नान करते
उन्हें तैयार करते भोग लगाते और उनकी पूजा
करते नंद गांव के मुखिया जी के खेतों में
कम करता था नंद के कम पर जान के बाद यशोदा
का सर समय लड्डू गोपाल के साथ बीता उनके
साथ खेलती उनके लिए तरह के पकवान बनती और
उन्हें खिलाती
पसंद है ना लो का लो कल मैं आपके लिए अपने
हाथों से ताजी-ताजी मक्खन निकलूंगी और
आपको मक्खन का भोग लगाऊंगी मक्खन का नाम
सुनते ही लड्डू गोपाल ने साड़ी खीर झटपट
का ली यशोदा जब अपने हाथ में खीर लेकर
लड्डू गोपाल के मुंह के पास ले जाति तो
खीर अपने आप कहानी गायब हो जाति यशोदा ने
देखा की लड्डू गोपाल के मुंह में खीर लगी
हुई थी इसी तरह यशोदा लड्डू गोपाल को जो
भी खिलाती वो बड़े प्यार से का लेते थे
मेरे लड्डू गोपाल क्या तुम नहीं चाहते की
हमारे आंगन में सचमुच का लड्डू गोपाल खेल
मेरी सनी गॉड कब भरेगी बोलो तुम तो मेरे
बेटे हो ही तुम चिंता मत करो तुम्हारी जगह
कोई नहीं लगा लेकिन मेरे सर से बंद का
कलंक हटा दो इसी तरह यशोदा लड्डू गोपाल से
प्रार्थना करती नंद पर लड्डू गोपाल का
बहुत ख्याल रखना था वह जब भी बाहर से आता
लड्डू गोपाल के लिए कुछ एन कुछ जरूर लता
था
होगा यह लो मैं लड्डू गोपाल के लिए मिश्री
लाया हूं लड्डू गोपाल को दही और मिश्री
बहुत पसंद है ना उन्हें कल दही और
मिस्त्री का भोग लगाना
मेरे लड्डू गोपाल को दही मिश्री बहुत पसंद
है देखो कैसे खुशी के मारे मुस्कुरा रहे
हैं यशोदो और नंद जैसे भक्ति प्रकार लड्डू
गोपाल भी बहुत खुश थे उन्होंने नंद और
यशोदा को अपना आशीर्वाद दिया और यशोदा की
इच्छा पुरी हो गई कुछ ही दोनों के बाद
यशोदा के पर भारी हो गए और 9 मा के बाद
उसने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया यह
लड्डू गोपाल के आशीर्वाद से हुआ है हम
इसका नाम लड्डू रखेंगे आपका बहुत-बहुत
धन्यवाद लड्डू गोपाल आपकी कृपा से मेरी
सनी को धारी हो गई अब यशोदा और नंद लड्डू
गोपाल का पहले से भी ज्यादा ध्यान रखना
लगे समय बीता गया यशोदा और नंद का बेटा
लड्डू भी धीरे-धीरे बड़ा होने लगा लड्डू
रोज नंद और यशोदा को लड्डू गोपाल की सेवा
करते हुए देखा एक दिन
खिलाती हो सुलाती क्या यह सब कम यह खुद
नहीं कर सकते बाबा भी इनके लिए रोज कुछ ना
कुछ लेकर आते हैं जो चीज मेरे लिए आई है
वो इनके लिए भी आई है आखिर कौन है ये
लड्डू बेटा ये लड्डू गोपाल है ये तेरे
बड़े भाई हैं जैसे मैं तेरे लिए सब कुछ
करती हूं वैसे ही तेरे भाई के लिए भी सब
कुछ करती हूं अच्छा फिर तो मैं इनके साथ
खेल सकता हूं ना तू इनके साथ खेल सकता है
लड्डू बहुत खुश था की उसे उसके साथ खेलने
के लिए एक भाई मिल गया है अब लड्डू रोज
लड्डू गोपाल के साथ खेलते उन्हें अपने साथ
खाना खिलता और उन्हें अपने साथ सुलता था
लड्डू का प्रेम देखकर लड्डू गोपाल भी बहुत
खुश थे उन्हें भी लड्डू का साथ अच्छा लगे
लगा था धीरे-धीरे लड्डू बड़ा हो रहा था एक
दिन लड्डू के पापा हमारा लड्डू 4 साल का
हो गया है अब इसका एडमिशन स्कूल में करवा दो
गांव के सरकारी स्कूल में कल ही लड्डू का
एडमिशन करवा दूंगा दूसरे दिन नंद ने लड्डू
के एडमिशन स्कूल में करवा दिया लड्डू अब
स्कूल जान लगा था स्कूल सबसे पहले उसने
अपने स्कूल बैग में लड्डू गोपाल को रख
लिया लड्डू बेटे लड्डू गोपाल को यही रहने
रहूंगा वहां मेरा मां नहीं लगेगा लड्डू
बेटे शाम को जब घर आओगे तब लड्डू गोपाल के
साथ खूब खेलने लेकिन अभी स्कूल में पढ़ाई
करनी है ना लेकिन तुमने कहा था की लड्डू
गोपाल मेरे बड़े भाई हैं अगर मैं स्कूल जा
सकता हूं तो लड्डू गोपाल क्यों नहीं
क्योंकि लड्डू गोपाल को स्कूल जान की कोई
जरूर नहीं है वे बहुत ज्ञानी और विद्वान
भेज दिया लेकिन लड्डू का पढ़ाई में मां ही
नहीं लगता था वो स्कूल में बैठकर सिर्फ
लड्डू गोपाल को याद किया करता था इस तरह
लड्डू परीक्षा में फेल होने लगा जी करण
नंद और यशोदा परेशान रहने लगे यशोदा मां
ही मां लड्डू गोपाल से प्रार्थना करने लगी
है लड्डू गोपाल मेरे लड्डू को ना जान क्या
हो गया है वह पढ़ाई करता ही नहीं है आप ही
कुछ करो ना प्रभु आपके पास तो साड़ी
मुश्किलों का हाल है लड्डू गोपाल यशोदा की
प्रार्थना सुनकर मुस्कुराए दूसरे दिन जब
लड्डू स्कूल जान के लिए घर से निकाला तो
रास्ते में लड्डू गोपाल एक साधारण पलक के
भेस में लड्डू के पास आए और बोले क्या तुम
मेरे साथ खेलोगे नहीं मैं लड्डू गोपाल के
अलावा किसी के साथ नहीं खेलते लेकिन तुम
कौन हो मेरा नाम पूछूं है मैं पास के जंगल
में राहत हूं क्या तुम मुझे अपने साथ
स्कूल ले चलोगे मैं तुम्हें अपने साथ
स्कूल तो नहीं ले जा सकता लेकिन मेरा
पढ़ने में बिल्कुल भी मां नहीं लगता है
क्या तुम मेरे बदले में स्कूल जा सकते हो
हां क्यों नहीं मैं तुम्हारी जगह पर स्कूल
जा सकता हूं लेकिन तुम यह बात किसी को मत
बताना ठीक है मैं किसी को नहीं बताऊंगा
पूछूं नहीं अपनी चमत्कार से लड्डू का रूप
कर लिया लड्डू ये देख कर बहुत खुश हो गया
की उसे अब स्कूल जाकर पढ़ाई नहीं करनी
पड़ेगी उसने पुछु को अपना भारी बरसाता
पढ़ते हुए कहा ये लो ये मेरा स्कूल बैग है
इसे लेकर स्कूल चले जो तब तक मैं यहां
खेलते हूं ठीक है ये कुछ खिलौने हैं
इन्हें रख लो और इन्हीं के साथ खेलने
लड्डू के भेस में लड्डू गोपाल पीठ पर
स्कूल का भारी बरसाता लड़कर स्कूल की तरफ
चलती है सर दिन उन्होंने स्कूल में पढ़ाई
की स्कूल में मास्टर जी जो भी पढ़ते लड्डू
गोपाल खूब मां लगाकर पढ़ने बोलो बच्चों
अ से अनार ए से आम एन से अनार ए से आम आई से
इमली से इमली
आज तो तुम्हें एक बार में सब कुछ समझ ए
गया अब मास्टर जी को क्या पता था की अल
में लड्डू कौन है लड्डू गोपाल मंद मंद
मुस्कुराते और दिन भर पढ़ाई करते मास्टर
जी की सिखाई हुई हर चीज उन्हें याद हो वह
दूसरे बच्चों की पढ़ाई में मदद करने लगे
और लंच के समय में अपने बेस्ट से खाना
निकाल कर भर पेट खाता वह दूसरे बच्चों के
साथ खेलने भी थे शाम को जब वह स्कूल से
लौटे तो उन्होंने लड्डू को वह सब पटाया जो
उन्होंने स्कूल में पढ़ा था बोलो लड्डू
आशिया अनार ए से आम ए से अनार ए से आम इसे
इमली ए से एक इसे इमली इसे एक लड्डू गोपाल
के चमत्कार से लड्डू को साड़ी पढ़ाई समझ
में आने लगी और उसका पढ़ने में मां लगे
लगा अब रोज यही होता लड्डू जंगल में बैठकर
धारकर स्कूल चले जाते जब वह स्कूल से लोट
कर आते तो लड्डू को सब कुछ पढ़ते
धीरे-धीरे लड्डू बहुत होनहार हो गया लड्डू
गोपाल की पढ़ाई हुई साड़ी बातें उसे
जुबानी याद रहने लगी इसी तरह से समय बीता
गया और लड्डू बड़ा होने लगा लेकिन अब भी
लड्डू गोपाल उसका रूप धारकर स्कूल जाते और
पढ़ाई करते लड्डू सिर्फ परीक्षा देने
स्कूल जाता लड्डू के बाबा हमारा लड्डू अब
बहुत होशियार हो गया है लड्डू गोपाल के
आशीर्वाद से इसका पढ़ने में खूब मां लगता
है और अपनी कक्षा में अव्वल आता है आई
यशोदा यह सब लड्डू गोपाल की कृपा से ही
हुआ है लड्डू के बाबा हम अपने लड्डू को
आगे भी पढ़ाएंगे धीरे-धीरे लड्डू ने दसवीं
की परीक्षा भी पास कर दी वो पूरे गांव में
अव्वल आया था पढ़ाई के प्रति उसकी लगन
देखकर उसके माता-पिता उसे आगे बढ़ाना
चाहते थे लड्डू भी आगे पढ़ना चाहता था
लेकिन गांव में कॉलेज नहीं था एक दिन
लड्डू के पापा हमारा लड्डू आगे पढ़ना
चाहता है क्यों ना पढ़ने के लिए हम इसे
शहर भेज दे यशोदा बात तो तेरी ठीक है
लेकिन शहर रहने और पढ़ने का बहुत खर्चा
आएगा हम इतना खर्चा कैसे कर पाएंगे लड्डू
गोपाल चाहेंगे तो सब हो जाएगा आप मुखिया
जी से कहो ना की लड्डू को पढ़ने के लिए
शहर भेज दे
नंद मुखिया जी के पास जाता है और साड़ी
बात बताता है
दसवीं में सबसे अफवाह लाकर उसने पूरे गांव
का सम्मान रखा है शहर जाकर पढ़ाई करेगा तो
हमारा नाम रोशन करेगा मैं लड्डू को शहर
भेजना और उसे पढ़ना का पूरा घर चढ़ाऊंगा
घर आकर नंदिनी ये बात ये यशोदा और लड्डू
को बताई ये सुनकर लड्डू उदास हो गया लड्डू
इस समय जंगल गए और पुछु को याद करने लगा
तभी पूछूं यानी लड्डू गोपाल उसके सामने ए
गए क्या बात है लड्डू तुम परेशान क्यों हो
क्या बताऊं पूछो मैं और बाबा आगे पढ़ने के
लिए मुझे शहर भेजना चाहते हैं यह तो बहुत
अच्छी बात है लेकिन अब मैं तुम्हारे साथ
कैसे खेलूंगा और शहर जाकर तो मुझे ही
कॉलेज जाना पड़ेगा ना तुम तो वहां नहीं
होंगे लड्डू मैं तो हर समय हर जगह
तुम्हारे साथ हूं मतलब तुम कौन हो मैं वही
हूं जिसकी याद में तुम पढ़ाई नहीं करते थे
तुम्हारा भाई लड्डू गोपाल और इतना कहते ही
पूछो यानी लड्डू गोपाल अपने असली रूप में
ए जाते हैं अपने सामने साक्षात लड्डू
गोपाल को देखकर लड्डू बहुत खुश हो जाता है
लड्डू गोपाल आप शहर में भी मेरे साथ रहोगे
ना मेरे साथ कॉलेज चलोगे ना हां लड्डू मैं
वहां भी तुम्हारे साथ रहूंगा लेकिन अब
पढ़ाई तुम्हें खुद करनी होगी मेरे
आशीर्वाद से तुम बहुत होनहार छात्र बन गए
हो इसलिए पढ़ाई करने में तुम्हें कोई
दिक्कत नहीं आएगी ठीक है अब मैं घर चला
हूं कल सुबह मुझे शहर के लिए निकालना है
तो मेरे साथ रहना ठीक है लड्डू जैसे
तुम्हारी इच्छा मैं तो सदा तुम्हारे साथ
हूं इसके बाद लड्डू अपने घर ए जाता है और
अपने माता पिता को साड़ी बात बताता है
मुझे तो पहले से ही पता था की मेरी लड्डू
गोपाल हमेशा हमारी मदद करते हैं आज हम जो
कुछ भी हैं उनके करण ही है यशोदा नंद और
लड्डू ने हाथ जोड़कर लड्डू गोपाल का
धन्यवाद किया दूसरे दिन लड्डू शहर के लिए
निकाल गया और वहां जाकर उसने कॉलेज में
एडमिशन ले लिया लड्डू गोपाल पढ़ाई करने
में अब भी उसकी मदद करते थे
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