शिव जी को लगी गर्मी | Shiv Ji Ko Lagi Garmi | Bhakti Kahani | Hindi Kahani | Shiv Parvati | Kahani

शिव जी को लगी गर्मी | Shiv Ji Ko Lagi Garmi | Bhakti Kahani | Hindi Kahani | Shiv Parvati | Kahani

गर्मियों का मौसम था इस बार महादेव तपस्या करने के लिए एक गुफा में पहुंचे दरअसल वह तपस्या एक छोटी सी गुफा में ही होनी थी लेकिन उस गुफा के अंदर गर्मियों में इतनी गर्मी लग रही थी कि खुद महादेव तक के पसीने छूटने लगे यह देख मां पार्वती ने कहा महादेव यहां तो कितनी इस गुफा में हम कुछ दिन बाद ध्यान पर बैठेंगे लेकिन यहां तो गर्मी से बुरा हाल है हां देवी गर्मी तो हमें भी बहुत लग रही है लेकिन जो तपस्या हम करने जा रहे हैं वह कैलाश पर्वत पर नहीं हो पाएगी इसलिए हमें कुछ दिन बाद से इसी गर्मी में रहकर ध्यान लगाना होगा

स्वामी इन सब में तो हम भूल ही गए आज देवी लक्ष्मी और विष्णु जी ने हमें अपने यहां बैकुंठ में भोजन पर आमंत्रित किया है चलिए हम अभी वहां चलना होगा अगर हम वहां नहीं गए तो वे बहुत नाराज होंगे हां देवी तुम ठीक कहती हो चलो बैकुंठ चलो कुछ ही देर में दोनों बैकुंठ पहुंच जाते हैं लेकिन बैकुंठ में माता लक्ष्मी के यहां पहुंचकर तो उन्हें गर्मी का एहसास ही नहीं होता देवी लक्ष्मी आपके यहां तो गर्मी का एहसास ही नहीं हो रहा जबकि इस बार तो कैलाश पर्वत में भी गर्मी का माहौल है वो इसलिए महादेव क्योंकि इन गर्मियों में विष्णु जी मेरे लिए नया एसी लेकर आए वो देखिए यह जो मशीन है इसी से यह वातावरण ठंडा है अच्छा यह तो बहुत ही बढ़िया चीज है

लेकिन यह लाई कहां से है विष्णु जी यह हम धरती लोक से लाए हैं जहां हम एक भक्त के यहां पधारे थे तब हमें इस मशीन की ठंडक का एहसास हुआ अरे वाह यह तो बहुत ही अच्छा आईडिया है अब तो मेरी तपस्या इस भीषण गर्मी में भी गुफा के अंदर पूरी होकर रहेगी यह सुनकर महादेव बहुत खुश हुए उन्होंने भोजन किया इसके बाद वह कैलाश पर आकर मां पार्वती को अपनी योजना के बारे में बताते हैं मुझसे तो यह भीषण गर्मी झेली नहीं जा रही मैं कल ही धरती लोक पर एसी लेने जाऊंगा नहीं महादेव आप इतनी गर्मी में धरती लोक पर कहां भटक इससे तो उचित रहेगा आप कैलाश पर ही रहे

लेकिन महादेव तो महादेव हैं वह जो एक बार ठान लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं वह पृथ्वी लोक पर चले जाते हैं और एक साधारण इंसान के रूप में एसी की तलाश में निकल पड़ लेकिन काफी देर तक धूप में भटकने के बाद भी उन्हें समझ नहीं आया कि उन्हें एसी कहां मिलेगा फिर उन्होंने एक राहगीर को रोक कर पूछा अरे भैया यह एसी कहां मिलेगा इसी मोड़ पर एक बड़ी सी दुकान है वहीं आपको एसी मिल जाएगा कुछ देर बाद शिवजी वहां पहुंच जाते हैं मुझे एसी खरीदना है हां तो निकालो 00 और ले जाओ एसी लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है पैसे नहीं है तो यहां एसी लेने क्यों आए हो एक तो वैसे ही स्टाफ ने मेरा दिमाग दिग खराब कर रखा है वो लड़का कह रहा था आज से काम पर आ जाऊंगा लेकिन लगता है बिरजू वो कम पैसे सुनकर नहीं आया

अब 21000 से ऊपर तो मैं नौकरी पर नहीं रख सकता ना यह सुनकर महादेव ने सोचा अगर मैं यहां काम पर लग जाऊं तो एसी के लिए पैसे जुड़ जाएंगे सेठ जी अगर आप बुरा ना माने तो यह नौकरी आप मुझे दे दीजिए और बदले में आप मुझे एसी दे दीजिएगा जदा बुरा नहीं है पगार नहीं देनी पड़ेगी और एसी के बदले में इससे खूब काम भी करवा लूंगा अच्छा ठीक है तुम आज से ही मेरे यहां काम करना शुरू कर दो जब महीना हो जाएगा तो मैं तुम्हें एसी दे दूंगा यह सुनकर महादेव खुश हो जाते हैं और उस दुकान पर काम करने लगते हैं अब जहां स्वयं महादेव विराजमान हो तो उस काम में बढ़ोतरी होनी ही है शिवजी की उस दुकान में काम करने से लोगों की भीड़ उस दुकान पर लगनी शुरू हो जाती है खूब सारे ग्राहक वहां आते हैं

अब सेठ की कमाई काफी ज्यादा होने लगी पहले जहां उसकी दुकान पर दि भर में पांच छ ग्राहक ही आते थे अब वहीं दिन भर में 60 से 80 ग्राहक आने लगे उसकी दुकान पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी सेठ खूब पैसे कमा रहा था शिवजी के पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी इसलिए वे दुकान के बाहर ही खाट डालकर सो जाते थे एक रात अचानक दुकान के अंदर आग लग गई इस बात का आभास शिवजी को हुआ तो वह फौरन सेठ जी को बुलाकर ले आए सेठ जी जल्दी चलो मुझे लगता है दुकान के अंदर आग लग गई है क्या मेरी दुकान के अंदर आग लग गई है हे भोलेनाथ मेरी दुकान और माल की रक्षा करना वो दोनों जल्दी से दुकान की ओर भागते हैं जहां अंदर की तरफ से धुआं आ रहा था

शिव जी को लगी गर्मी | Shiv Ji Ko Lagi Garmi | Bhakti Kahani | Hindi Kahani | Shiv Parvati | Kahani

हे महादेव मेरी दुकान की रक्षा करो यह सुनकर महादेव मंद मंद मुस्कुराए और उन्होंने चुपके से अपना हाथ उठाया और उस दुकान पर अपनी कृपा बरसाई सेठ ने जैसे ही दुकान खोली तो अंदर सब कुछ ठीक था बस थोड़ा सा काउंटर ही चला था सेठ ने हाथ जोड़कर प्रभु से कहा हे प्रभु महादेव आपकी कृपा से मेरी दुकान में आग फैलने से बच गई आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रभु और महेश तुम्हारा भी बहुत-बहुत शुक्रिया अगर तुम मुझे वक्त पर ना बुलाते तो मैं पूरी तरह से बर्बाद हो जाता जब तुमने मुझे मदद के लिए पुकारा तो भला मैं कैसे नहीं आता यह कहकर शिवजी अपने असली रूप में आ जाते हैं महादेव को अपने सामने देख सेठ की आंखों में आंसू आ जाते हैं वो उनके चरणों में प्रणाम करता है लेकिन महादेव आप क्यों इतने दिनों तक मेरे यहां नौकर का कार्य करते रहे फिर महादेव उन्हें पृथ्वी लोक पर आने का कारण बताते हैं

आपकी तपस्या के लिए एसी आपको मेरी दुकान से चाहिए भगवान मेरे तो भाग्य खुल गए मैं स्वयं अपने भगवान को अपनी दुकान से एसी दे रहा हूं मां पार्वती को यह भेंट दे रहा हूं मुझे क्षमा करना प्रभु जो मैंने आपसे पिछले दिनों कार्य करवाया तुम्हें माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है सेठ मेरी और पार्वती की यही इच्छा थी कि मैं अपनी मेहनत से एसी ला सकूं यह सुनकर सेठ जी की आंखों में आंसू छलक आते हैं सचमुच भगवान किस रूप में किसके पास आ जाए यह किसी को नहीं पता महादेव ने उस सेठ के पास एक महीने तक काम किया और अब उन्हें एक एसी मिल गया वह एसी लेकर महादेव कैलाश लौटते हैं फिर मां पार्वती जब वह एसी देखती हैं साथ ही उन्हें सारी बात पता चलती है तो वह बहुत खुश होती हैं फिर उनकी मेहनत देखकर वह शिव के हृदय से लग जाती हैं जिसके बाद महादेव उस एसी को उस गुफा में लगा देते हैं फिर दोनों ठंडी-ठंडी हवा में बैठकर तपस्या में लीन हो जा

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