।। ॐ सूर्याय नमः ।। Bedtime Stories |Hindi Kahani |moral story

।। ॐ सूर्याय नमः ।। Bedtime Stories |Hindi Kahani |moral story

सूर्य देव हिन्दू धर्म के देवता हैं। सूर्य देव का वर्णन वेदों और पुराणों में भी किया गया है। सूर्य देव का वर्णन एक प्रत्यक्ष देव के रूप में कई जगह किया गया है। भगवान सूर्यदेव को ही जगत की उत्पत्ति तथा अंत का कारण का कारण माना जाता है। शास्त्रों में सूर्य के बारे में विस्तार से बताया गया है।

सूर्य देव की जन्म कथा-
एक कथा के अनुसार युद्ध में हारे हुए देवताओं की रक्षा के लिए प्रजापति दक्ष की कन्या अदिति ने सूर्य से उनके पुत्र रूप में जन्म लेने की प्रार्थना की। तब सूर्य देव ने प्रकट होकर अपने एक अंश को उनके गर्भ से जन्म लेने की बात कही। कुछ समय बीत जाने के बाद अदिति के गर्भ से सूर्य देव का जन्म हुआ। उन्होंने दैत्यों से देवताओं की रक्षा की। सूर्य के इस रूप को मार्तण्ड नाम से जाना जाता है।

सूर्य देव के मंत्र-
सूर्य देव का सबसे आसान मंत्र है
“ऊं सूर्याय नम:।”
इस मंत्र का जाप प्रात: काल सूर्य प्रणाम और सूर्य को जल अर्पित करते समय करना चाहिए। साथ ही इच्छापूर्ति और पुत्र प्राप्ति के लिए जातक को रोज प्रातः उठकर इस मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए-

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते।
अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।

सूर्य देव का स्वरूप-
सूर्य देव का निवास स्थान आदित्य लोक है। इनका वाहन सात घोड़ों वाला रथ है। इनके चार हाथ हैं जिनमें से दो हाथों में इन्होंने पद्म पकड़ा हुआ है तथा दो अन्य हाथ अभय और वरमुद्रा में हैं।

सूर्य देव के बारह नाम-
१- आदित्य
२- मार्तंड
३- भास्कर
४- रवि
५- लोकप्रकाशक
६- लोक चक्षु
७- गृहेश्वर
८- त्रिलोकेश
९- तपन
१०- सप्ताश्ववाहन
११- गभस्तिहस्त
१२- सर्वदेवनमस्कृत

सूर्य भगवान का परिवार-
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार सूर्य देव की माता का नाम अदिति तथा पिता का नाम महर्षि कश्यप है। इनकी दो पत्नियां हैं छाया और संज्ञा। छाया और सूर्य के पुत्र शनि देव हैं। एक पुत्री है ताप्ती ।

सूर्य देव से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें-
सूर्य देव वाहन सात अश्वों वाला रथ है।

सूर्य देव बहुत गतिमान माने जाते हैं क्योंकि यह निरंतर चलते रहते हैं।

इन्हें दिन-रात का विधाता तथा दिशाओं का विभाजक माना जाता है।

भगवान सूर्यदेव के पुत्र शनिदेव हैं। शनिदेव को सूर्यदेव का शत्रु माना जाता है। कथानुसार दोनों पिता-पुत्र कभी एक साथ नहीं रहते।

हिन्दू धर्मानुसार इस संसार में वही अकेले प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले देवता हैं।

सूर्य देव के सात मुख्य मंदिर-
१- सूर्य मंदिर (मोढ़ेरा)
२- कोणार्क सूर्य मंदिर
३- मार्तंड सूर्य मंदिर
४- बेलाउर सूर्य मंदिर
५- झालरापाटन सूर्य मंदिर
६- औंगारी सूर्य मंदिर
७- उन्नाव का सूर्य मंदिर

भगवान श्री सूर्यनारायण अपने सभी भक्तों का मङ्गल करें।

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एक बुढ़िया थी। रविवार के व्रत करती थी। उसका गोबर का नेम था। गोबर से चूल्हा लीप के तब रोटी बना के खाती थी। पड़ोसन के गऊ थी। उसके यहाँ से गोबर लाती थी।
एक दिन पड़ोसन ने गऊ अंदर बाँध ली। बुढ़िया का ना गोबर मिला, ना करा, ना खाया। भूखी रह गयी।
सपने में सूर्य नारायण दीखे बोले बुढ़िया भूखी क्यों पड़ी है। बुढ़िया बोली, ‘देव मुझे गोबर का नेम है। चूल्हा गोबर से लीप के, रोटी बनाऊँ हूँ। ना गोबर मिला, ना लीपा, ना खाया।’ सूर्य नारायण बोले, ‘बाहर निकल के देख, तेरे गोरी-गाय, गोरा बछड़ा बंध रहे हैं।
गाय ने एक लड़ी सोने की, एक गोबर की दी। पड़ोसन दे देख लिया। सोने की पड़ोसन ले गई, गोबर की बुढ़िया ले आई। लीप-पोत के खा ले। रोज ऐसे ही करे।
भगवान ने सोचा मैंने बुढ़िया को धन दिया। बुढ़िया को लेना ना आया। अब सूरज भगवान ने आँधी-मेघ बरसा दिया। बुढ़िया ने गऊ अंदर बाँध ली। तब बुढ़िया को पता चला सोने की लड़ी घर में रख ली। गोबर से चूल्हा लीप के रोटी बना ली, और खाली।
पड़ोसन को गुस्सा आया उसने राजा से शिकायत की कि बुढ़िया की गऊ तो सोना हगती है। ऐसी गऊ तो राजा-महाराजा के पास होनी चाहिए। राजा ने नौकर भेजकर गऊ मँगा ली। राजा बोला गलीचे बिछा दो गऊ सोना हगेगी। गऊ ने सारा घर गोबर से भर दिया।
राजा ने बुढ़िया को बुलाया। राजा बोला तेरे घर पर तो सोना हगती है, हमारा महल गोबर से भर दिया। बुढ़िया बोली, ‘महाराज मेरे गोबर का नेम है। गोबर से चूल्हा लीपकर खाना बनाकर खाती हूँ। एक दिन मुझे गोबर नहीं मिला, भूखी पड़ी रही, सो गई। सपने में सूर्य नारायण दीखे। उन्होंने कहा, बुढ़िया भूखी क्यों पड़ी है ?’ मैंने कहा, ‘बेटा मेरे गोबर का नेम है, आज गोबर नहीं मिला।’ उसने कहा, ‘बाहर जाके देखो।’ मैंने जाके देखा गऊ बछड़ा बँधे हैं। गाय एक सोने की करे, एक गोबर की। पड़ोसन सोने की ले जावे, गोबर की मैं ले जाती। एक दिन आँधी-मेघ बरसा, मैंने गऊ अंदर बाँध ली जब देखा एक सोने की लड़ी, एक गोबर की पोथी। पड़ोसन को उस दिन सोना नहीं मिला तो आपसे चुगली कर दी। मुझे तो सूर्य नारायण ने दी थी।’
राजा ने बुढ़िया को गऊ भी दी और धन दिया। पड़ोसन को दंड दिया। जैसे बुढ़िया ने पाई वैसे सब कोई पावें

“जय जय श्री हरि”

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