अनाथ बच्चों के घर आई दुर्गा माँ | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Moral Stories
शिवपुर गांव में आदि और शालू अपने चाचा प्रीतम और चाची नर्मदा के साथ रहते द उन दोनों के माता पिता का देहांत रोड एक्सीडेंट में हो गया था जहां प्रीतम बच्चों को बेहद प्यार करता था तो वहीं नर्मदा उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव करती थी एक दिन शालू घर के बाहर अपनी सहेलियों के साथ खेल रही थी तभी नर्मदा उसको आवाज़ लगाते हुए कहती है जब देखो तब खेलती रहती है घर का कम क्या तेरा बाप करेगा पर चाची घर का सारा कम खत्म करके ही मैं खेलने गई थी कम खत्म हो गया है तो रात के खाने की तैयारी कर ले तेरे चाचा आते ही होंगे कभी आधी वहां ए
जाता है क्यों रे कहां घूम रहा था कभी घर पर भी टिक जाएगा मैं पास वाले दुर्गा मैन के मंदिर गया था मंदिर जाने की क्या जरूरत थी खेत पर ही चला जाता अपने चाचा का हाथ बताने उन्हें भी कुछ आराम मिल जाता चाची पहले खाना खा लूं फिर चला जाऊंगा पर खाना तो खत्म हो गया अब रात को ही मिलेगा आधी बिना कुछ खाए भूखा ही खेत पर जाने के लिए निकल जाता है पर शालू को यह बात अच्छी नहीं लगती और वो अपनी चाची से कहती है चाची आपने आदि भैया से झूठ क्यों कहा वह भूखा ही चला गया तू ज़रा सी लड़की मुझे झूठी बता रही है आने दे तेरे चाचा को फिर बताती हूं तुझे फिर शाम को दोनों चाचा
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भतीजा घर वापस आते हैं उनके आते ही नर्मदा उन दोनों के खिलाफ प्रीतम के कान भर देती है जिससे वह उन दोनों को घर से बाहर निकल देता है रात को ठंड में दोनों सड़क पर चले जा रहे द तभी शालू कहती भैया अब हम क्या करेंगे हम कहां जाएंगे जब हम पर कोई भी मुसीबत पड़ती थी तो मैन क्या करती थी मुझे तो कुछ भी याद नहीं भैया मैं तो बहुत छोटी थी ना आप ही बता दो क्या कहती थी हमारी मैन हमेशा कहती थी की मैन दुर्गा का सदा ध्यान करना चाहिए उनकी पूजा करने वालों पर कभी कोई मुसीबत नहीं आती चल अब हम सीधा मैन दुर्गा के ही मंदिर चलते हैं इतना कहकर दोनों बच्चे मैन
दुर्गा के मंदिर चले जाते हैं और भूखे प्यासे रात को वहीं जमीन पर सो जाते हैं अगले दिन सुबह जब पंडित मंदिर का दरवाजा खोल कर अंदर आते हैं तो उन दोनों से पूछते हैं तुम लोग यहां कैसे आए फिर वो दोनों अपनी सारी कहानी पंडित को बन जाते हैं वह सब तो ठीक है बच्चों पर कोई भी तुम्हें मंदिर में रहने नहीं देगा पंडित जी हमें कुछ दिन यहां रहने दीजिए फिर हम कोई ना कोई ठिकाना ढूंढी लेंगे अगर तुम लोग चाहो तो मंदिर के पीछे मेरी कुटिया है तुम कुछ दिन वहीं रह सकते हो जैसे ही तुम्हें कोई ठिकाना मिल जाए तब चले जा रहा इसके बाद आदि और शालू
पंडित जी की कुटिया में ही रहने लगे आदि मंदिर के साफ-सफाई करता तो वही शालू मैन के लिए फूलों की माला बनाने का कम करती ऐसे ही कुछ दिन बीट जाते हैं एक रात आदि के सपने में मैन दुर्गा आती है और उससे कहती हैं वक्त तुम दोनों भाई बहन की भक्ति से मैं बेहद प्रसन्न हूं अभी तुम दोनों को बहुत सारी कार्य करने माता-पिता का नाम रोशन करना है इसीलिए कल सुबह होते ही अपनी बहन को लेकर उत्तर दिशा की ओर चलती रहना अंसल मिल जाएगी आधी चौक कर उठ कर बैठ जाता है लेकिन जैसे ही वह अपने अगल बगल देखता है तो वह कोई नहीं होता अगले दिन सुबह वो पंडित जी को सारी बात बताता है पंडित जी
ने उन्हें खाना और कुछ पैसे दे दिए दोपहर होते होते वह दोनों चलकर काफी दूर निकल आए द फिर दोनों एक पेड़ के नीचे बैठकर खाना खाने लगे तभी उनके पास एक भिखारी आता है फिर आदि और शालू अपने खाने में से थोड़ा-थोड़ा उसे भिखारी को भी दे देते हैं मेरे पास तुम्हें देने को तो कुछ नहीं है पर आज मैं तुम्हें ऐसा मंत्र बताता हूं जिसका जाप करके तुम जो भी कम करोगे उसमें सफलता तुम्हें जरूर मिलेगी और बाबा आपको इस मंत्र के बारे में कैसे पटाने में आकर क्या रहा था लेकिन आप इस बारे में कैसे जानते हैं बाबा की दुर्गा मैन मेरे सपने में आई थी और उन्होंने क्या
कहा था तभी वह भिखारी अनुमान के रूप में प्रकट हो जाते हैं श्री राम बच्चों मैन दुर्गा के आदेश अनुसार मैं हमेशा तुम लोगों के साथ रहूंगा और तुम दोनों के ऊपर कोई कष्ट नहीं आने दूंगा इतना कहकर हनुमान जी अंतर्धान हो जाते हैं कुछ तो रागी चलने पर एक गांव आता है जहां एक दुकान के बाहर हेल्पर की आवश्यकता है का नोटिस लगा हुआ होता है यह देखकर आदि और शालू उसे सेठ की दुकान में कम करने लग जाते हैं आदि जहां कपड़े बेचने का कम करता है वही शालू उसे दुकान में साफ सफाई के साथ साथ चाय पानी देने का कम संभल लेती है कुछ समय बाद आदि और शालू सेठ जी से कपड़े लेकर गांव गांव
बेचने निकल पड़ते हैं उनके कपड़े हाथों-हाथ बिक जाते हैं सारा कम अच्छे से सीखने के बाद थोड़े-थोड़े पैसे जमा करके आदि और हम खुद के कपड़ों की दुकान खोल लेते हैं और मैन दुर्गा की कृपा से उनकी दुकान दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करने लगती है दोनों भाई बहन की दुकान से होने वाली मोती कमाई से एक बड़ा सा घर खरीद लेते हैं और उसके अंदर मैन दुर्गा का बहुत बड़ा मंदिर बनाते हैं फिर वो दोनों सुबह शाम मधुर का की भक्ति करने लगते हैं और हर महीने माता के नाम के भंडारी करवाने लगते हैं मैन दुर्गा का आशीर्वाद भी उन पर खूब बरसता है और देखते
ही देखते वो दोनों उसे गांव के सबसे धनी लोगों में शुमार हो जाते हैं