माता पार्वती की रसोई | Mata Parwati Ki Rasoi | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Kahaniya |
एक बार की बात है माता पार्वती ने कैलाश पर्वत पर खाना बनाया माता पार्वती ने खाना क्यों बनाया उसके बाद क्या हुआ जानने के लिए सुनते हैं कहानी माता पार्वती की रसोई
कैलाश पर्वत पर भगवान शिव कई दिनों से तपस्या में लीन थे उन्हें तपस्या में लीन देखकर माता पार्वती ने सोचा प्रभु तो तपस्या में लीन है मैं कई दिनों से प्रभु से बात करना चाहती लेकिन प्रभु को मेरा ध्यान ही नहीं है मैं प्रभु की तपस्या भी भंग नहीं कर सकती नहीं तो प्रभु को क्रोध आ जाएगा क्या करूं कि जिससे प्रभु की तपस्या भी भंग हो जाए और उन्हें क्रोध भी ना आए माता पार्वती ऐसा सोच रही थी कि तभी
(00:44) उनके पास भगवान गणेश भगवान कार्तिकेय और कैलाश पर्वत पर उपस्थित सारे गण आए भगवान शिव के सभी गणों ने माता से कहा- माता हम आपके पास अपनी प्रार्थना लेकर आए हैं .हमारी करुण पुकार सुनो माता .
गणेशजी ने कहा-हां माता मैं और भ्राता कार्तिकेय भी आपके सामने एक निवेदन लेकर आए हैं
माता ने कहा-बोलो पुत्र गणेश पुत्र कार्तिकेय क्या बात है आप सभी गण परेशान क्यों हैं
कार्तिकेजी ने कहामाता कई वर्ष गुजर गए पिताजी अभी तक तपस्या में लीन है हमें पिताजी से बात करनी है उनके साथ खेलने की बहुत तीव्र इच्छा हो रही है
गणेशजी ने कहा-हां माता पिताजी की तपस्या आखिर कब खत्म होगी
गण ने कहा-माता क्या हमारे प्रभु हमसे नाराज है कृपया करके उनसे कहिए
कि अपनी तपस्या खत्म करें और हमसे बात करें
पार्वती जी ने कहा-मैं भी यही चाहती हूं कि भगवान भोलेनाथ अपनी तपस्या खत्म करके कैलाश पर्वत पर हम सभी के साथ कुछ समय गुजारे लेकिन अगर भोलेनाथ की तपस्या किसी ने भी भंग की तो उसे उनके क्रोध का शिकार होना पड़ सकता है और मैं नहीं चाहती कि उन्हें क्रोध आए
गणेशजी ने कहा-फिर हमें ऐसा क्या करना चाहिए माता कि पिताजी अपनी तपस्या स्वयं भंग कर दें भगवान गणेश ने जैसे ही अपनी बात की तभी वहां पर स्वर्ग लोक से नारद मुनि पधारे नारायण नारायण
नारदजी ने कहाप्रणाम देवी पार्वती
पार्वती जी ने कहा-प्रणाम देवर्ष
नारदजी ने कहानारायण नारायण आप सभी लोग एक जगह पर एकत्रित है आप लोगों को देखकर
ऐसा लग रहा है जैसे किसी विकट समस्या के समाधान ना होने से आप लोग परेशान है
पार्वती जी ने कहा-कुछ ऐसा ही समझ लीजिए देवर्षी
नारदजी ने कहाक्या बात है माते कैलाश पर्वत पर इतनी परेशानी का क्या कारण हो सकता है यह तो स्वयं भोलेनाथ का निवास स्थान है और जहां भोलेनाथ निवास करते हो वहां आप लोगों की चिंता का क्या कारण है
पार्वती जी ने कहा-देवर्षि नारद भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर निवास तो जरूर करते हैं लेकिन उन्होंने कैलाश पर्वत पर रहने वाले अन्य प्राणियों से मुंह मोड़ लिया है
नारदजी ने कहामुंह मोड़ लिया है भला भगवान भोलेनाथ ऐसा कैसे कर सकते हैं है
पार्वती जी ने कहा-देवर्षी नारद भगवान भोलेनाथ कई वर्षों से तपस्या में लीन है उन्हें हमारी कोई
फिक्र ही नहीं है .मैं गणेश कार्तिकेय और सारे गण भगवान भोलेनाथ से बात करने के लिए आतुर हैं लेकिन समस्या यह है कि उनकी तपस्या आखिर भंग हो तो कैसे हो
नारदजी ने कहामाता पार्वती यह समस्या इतनी विकराल नहीं है जितना आप सभी सोच रहे हैं भगवान भोलेनाथ की तपस्या भंग करना तो आपकी चुटकियों का खेल है
पार्वती जी ने कहा-वो कैसे देवर्ष मुझे क्या करना चाहिए जिससे भगवान भोलेनाथ अपनी तपस्या खुद ही भंग कर द
नारदजी ने कहामाता पार्वती क्यों ना आप भगवान गणेश भगवान कार्तिके और सभी गणों के लिए सामूहिक भोजन का प्रबंध करें मैं तो कहता हूं माते कि आप स्वयं अपने हाथों से मिष्ठान और भोजन बनाएं आपके हाथों से बने
मिष्ठान और भोजन की सुगंध जब भगवान भोलेनाथ तक पहुंचेगी तब वोह अपनी तपस्या छोड़ने के लिए खुद ही विवश हो जाएंगे
गणेशजी ने कहा-माते देव ऋषि नारद ठीक कह रहे हैं
गणेशजी ने कहा-हां माते आपको भोजन बनाना चाहिए और मेरे लिए मोदक भी
गण ने कहा-हां माते इस मौके पर हम सभी को भी आपके हाथों से बने स्वादिष्ट व्यंजन खाने को मिलेंगे और प्रभु से हमारी मुलाकात भी हो जाएगी
पार्वती जी ने कहा-ठीक है आप सबकी यही इच्छा है तो ही होगा शायद देवर्षि नारद की यह सलाह हमारे काम आ जाए और भगवान भोलेनाथ अपनी तपस्या खुद ही भंग कर दे माता पार्वती ने सभी गणों को चूल्हा और भोजन बनाने के लिए सामग्री इकट्ठा करने का आदेश दिया जिसके
बाद सभी गण कैलाश पर्वत में एक गुफा के अंदर एक विशाल काय चूल्हे का निर्माण किया और स्त्री गणों ने भोजन बनाने की सामग्री इकट्ठा की. माता पार्वती चूल्हा बनकर तैयार हो गया है माता भोजन बनाने की सामग्री भी तैयार हो गई है ठीक है मैं भोजन बनाना शुरू करती हूं माता पार्वती ने जैसे ही यह कहा कि वे भोजन बनाना शुरू करने वाली हैं भगवान गणेश के मुंह में पानी आ गया
गणेशजी ने कहा-माता कृपया करके भोजन जल्दी तैयार कीजिए मुझे बहुत जोरों की भूख लगी है भगवान गणेश की उत्सुकता देखकर माता पार्वती मुस्कुराने लगी उन्होंने भगवान कार्तिकेय से पूछा कार्तिकेय क्या तुम्हें भूख नहीं लगी है
तुम्हारे लिए भोजन में क्या बनाऊं
कार्तिकेजी ने कहामाता भूख तो मुझे भी लगी है लेकिन मैं थोड़ा इंतजार कर लूंगा आप भोजन तैयार करके गणेश जी को खाने को दीजिए और यदि हो सके तो मेरे लिए गुड़ की खीर बना दीजिए
पार्वती जी ने कहा-ठीक है कार्तिकेय भोजन बनाने के लिए माता पार्वती उस गुफा में गई जहां सभी गणों ने मिलकर चूल्हे का निर्माण किया था .माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पसंद का भोजन बनाना शुरू किया .भोजन की सुगंध कैलाश पर्वत पर उपस्थित सभी गणों को खींचकर गुफा के बाहर ले आई. सभी गण गुफा के बाहर जमा हो गए और बोलने लगे कितनी अच्छी सुगंध है माता
पार्वती के हाथों से बना भोजन करके आज कितना आनंद आएगा सचमुच भोजन की सुगंध जितनी अच्छी है भोजन भी उतना ही रुचिकर होगा .भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय भी गुफा के बाहर आ गए और भोजन बनकर तैयार होने का इंतजार करने लगे माता पार्वती जैसे-जैसे भोजन बनाती उसकी सुगंध दूर-दूर तक फैलती जाती यहां तक कि भोजन की सुगंध स्वर्ग लोक तक पहुंच गई तब इंद्रदेव ने नारद मुनि से कहा देवऋषि नारद यह सुगंध कहां से आ रही है ऐसी सुगंध तो स्वर्ग में मौजूद किसी सुगंध की भी नहीं है
नारदजी ने कहाइंद्रदेव कैलाश पर्वत पर माता पार्वती भोजन बना रही है
इंद्रदेव ने कहादेव ऋषि नारद भला माता पार्वती को भोजन
बनाने की क्या आवश्यकता पड़ गई
नारदजी ने कहाइंद्रदेव भगवान नाथ कई वर्षों से तपस्या में लीन है उनकी तपस्या भंग करने के लिए माता पार्वती भोजन का निर्माण कर रही है जिससे कि महादेव की तपस्या भी भंग हो जाए और किसी को उनके क्रोध का शिकार भी ना होना पड़े
इंद्रदेव ने कहा-ऐसी बात है लेकिन अब तो माता पार्वती के हाथों से बने भोजन का आनंद लेने के लिए हम भी कैलाश पर्वत जाएंगे और स्वर्ग लोक में उपस्थित सभी देवता अप्सरा कैलाश पर्वत पर पहुंच गए वे सभी उसी गुफा के बाहर खड़े होकर इंतजार करने लगे कि कब भगवान भोलेनाथ की तपस्या भंग होगी और कब वे भोजन की सुगंध से यहां खींचे चले आएंगे और तब उसके
बाद सभी को माता पार्वती के हाथों से बना भोजन खाने को मिलेगा
गुफा के बाहर वैकुंठ धाम से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु भी आ गए .भगवान ब्रह्मा भी उपस्थित हो गए नंदी समेत सभी गण तो मौजूद थे ही पाताल लोक में उपस्थित सभी जीव जंतु भी वहां आ गए
नारदजी ने कहाअब माता को और भी अधिक भोजन बनाना पड़ेगा नंदी तुम माता के पास जाओ और उन्हें बता दो कि स्वर्ग लोक और पाताल लोक के सभी प्राणी उनके हाथों का बना भोजन करने आए हैं
नंदी ने यह बात जाकर माता पार्वती को बताई नंदी सभी लोग भोजन करने आ गए लेकिन महादेव अभी तक नहीं आए लगता है मेरे भोजन की सुगंध महादेव तक नहीं पहुंची क्या मेरा
भोजन बनाना सार्थक नहीं हुआ इतना कहकर माता पार्वती उदास हो गई उन्हें उदास देखकर नंदी ने कहा माता पार्वती आप उदास मत हो आपके भोजन की सुगंध से भगवान भोलेनाथ की तपस्या जरूर भंग होगी सभी लोग गुफा के बाहर खड़े थे कमी थी तो सिर्फ भगवान भोलेनाथ की भगवान भोलेनाथ की तपस्या भंग करने के लिए माता पार्वती और भी अधिक मिष्ठान और पकवान बनाने लगी थोड़ी देर के बाद माता पार्वती के बनाए भोजन की सुगंध महादेव तक भी पहुंच गई महादेव तपस में लीन थे लेकिन भोजन की सुगंध ने उन्हें बेचैन कर दिया और उनकी तपस्या भंग हो गई
महादेवने कहा-यह सुगंध कहां से आ रही है ऐसी सुगंध का
अनुभव मैंने आज तक पहले कभी नहीं किया लगता है मैं कई वर्षों से तपस्या में लीन था अब जब मेरी तपस्या टूट ही गई है तो चलकर देखता हूं कि यह सुगंध कहां से आ रही है भगवान भोलेनाथ उठकर उस दिशा में जाने लगे जिस दिशा से सुगंध आ रही थी चलते-चलते वे उसी गुफा के बाहर पहुंचे जिस गुफा के माता पार्वती भोजन बना रही थी महादेव ने देखा कि गुफा के बाहर सभी देवताओं और सभी गणों की भीड़ लगी हुई थी महादेव को देखकर सभी बहुत खुश हुए
नंदी यह सुगंध कहां से आ रही है इस सुगंध ने मेरी तपस्या भंग करती
नंदी ने कहा-प्रभु माता पार्वती इस गुफा के अंदर भोजन
बना रही है .इतना सुनते ही भगवान भोलेनाथ गुफा के अंदर चले गए उन्हें देखकर माता पार्वती बहुत खुश हुई
महादेवने कहा-देवी पार्वती आपके हाथ से बने भोजन की सुगंध ने मेरी वर्षों की तपस्या भंग कर दी अब भोजन लगाइए मुझसे और इंतजार नहीं हो रहा
माता पार्वतीने कहा-अभी लगाती हूं प्रभु .माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए भोजन परोसा जिसमें महादेव की पसंद के ढेर सारे मिष्ठान भी थे उसके बाद माता पार्वती ने भगवान विष्णु ,माता लक्ष्मी ,भगवान ब्रह्मा, भगवान गणेश ,भगवान कार्तिकेय सभी देवी देवताओं और सभी गणों के लिए भोजन परोसा फिर सबने एक साथ मिलकर माता पार्वती के हाथों से बने स्वादिष्ट भोजन का आनंद
लिया
गणेशजी ने कहा-माता भोजन बेहद उत्तम बना है मेरे लिए और दो मोदक तो है ना
कार्तिकेय ने कहा-हां माता ऐसा भोजन मैंने पहले कभी नहीं खाया आज तो आनंद आ गया भोजन करने के बाद माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से ढेर सारी बातें की और उनके साथ समय गुजारा उन्होंने मन ही मन नारद मुनि का धन्यवाद किया
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