Raksha Bandhan Ki Kahani | रक्षा बंधन की कहानी | Rakhi Ki Katha – राखी की कथा #rakshabandhan –
हेलो दोस्तों क्या आप जानते हैं कि राखी का त्योहार कैसे शुरू हुआ और यह क्यों मनाया जाता है अगर आप नहीं जानते तो हमारे इस वीडियो को अंत तक जरुर देखे और अगर आपने हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो प्लीज हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर लें नमस्कार स्वागत है आपका भक्ति सत्संग के इस YouTube चैनल में रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्यौहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है श्रावण मास में आने के कारण इसे शामिल भी कहते हैं रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है
(00:43) और भाई अपनी बहन को राखी के बदले में उपहार देते हैं रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बना देता है हर त्योहार की तरह राखी की बेक तथा तो चलिए जानते हैं कि रक्षाबंधन के पीछे ऐसी कौन सी पौराणिक कथा है राजा बलि बहुत ही दानी राजा थे और भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे एक बार उन्होंने या में का आयोजन किया इसी दौरान उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर आए और दान में राजा बलि से तीन पग भूमि देने के लिए कहा लेकिन उन्होंने 200 भूमि में ही पूरी पृथ्वी आकाश नाप लिया इस पर राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा
(01:26) ले रहे हैं तीसरे पक्ष के लिए उन्होंने भगवान का पर अपने सिर पर रखवा लिया फिर उन्होंने भगवान से याचिका की कि अब तो मेरा सब कुछ चला ही गया है तो प्रभु अब आप मेरी विनती स्वीकार करें और मेरे साथ पाताल में चल कर रहें हैं भगवान ने भक्तों की बात मानने और बैकुंठ छोड़कर पाताल चले गए उधर देवी लक्ष्मी परेशान हो गए फिर उन्होंने लीला रची और गरीब महिला बनकर राजा बलि के सन्मुख जा पहुंचे और मलिक को राखी बांधी राजा बलि ने कहा मेरे पास आपको देने के लिए अब कुछ भी शेष नहीं है इस पर देवी लक्ष्मी ने अपने रूप में आकर कहा आपके पास तो साक्षात् भगवान विष्णु है जो
(02:06) मुझे चाहिए है और मैं उन्हीं के लिए आई हूं इस पर राजा बलि ने भगवान विष्णु को माता को सौंप दिया जाते समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर साल चार महीने पाताल में ही निवास करेंगे यह चार महीने चतुर्मास के रूप से जाने जाते हैं जो देव शयनी एकादशी से लेकर देव उठनी एकादशी तक होते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी एक और कथा भी है तो महाभारत से जुड़ी है जो 3डी के समय जब कौरवों ने द्रौपदी के चीरहरण का प्रयास किया तब श्रीकृष्ण ने अपना वचन निभाते हुए हीर को बढ़ाकर द्रौपदी की लाज की रक्षा की कहा जाता है कि जिस दिन द्रौपदी ने
(02:47) श्रीकृष्ण की उंगली में अपना पल्लू बांधना था और श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था और वही दिन रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाने लगा तो मित्रों अब आप सब जान गए होंगे कि हम रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं आज का यह वीडियो आपको कैसा लगा हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट करके जरूर बताएं और हां बेल आइकन को जरुर दबाए ताकि अपने वाले वीडियो का नोटिफिकेशन आप मिल सकें धन्यवाद है