संत की सरलता|Hindi Kahani| Hindi kahaniya | Hindi kahaniyan

आज का अमृत संत न छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत। चन्दन भुवंगा बैठिए, तऊ सीतलता न तजंत। अर्थ: सज्जन को चाहे करोड़ों दुष्ट पुरुष मिले फिर भी वह भले स्वभाव को नहीं छोड़ता। चंदन के पेड़ से सांप लिपटे रहते है, पर वह अपनी शीतलता नही छोड़ता। संत की सरलता 〰️🌼〰️〰️〰️〰️🌼〰️ 〰️〰️🌼〰️〰️ एक गांव … Read more