राजा की प्रंशंसा
राजा की प्रंशंसा आज का अमृत अवश्यं यातारिश्चरतरमुषित्वापि विष्या। वियोगे को भे दस्तयजति न जनो यत्स्वयमनून। व्रजन्त: स्वात्रंत्यादतुलपरितापाय मनस: स्वयं त्यक्ता ह्ये शमसुख मनन्तं विदधति। अर्थ: सांसारिक विषय एक दिन हमारा साथ छोड़ देंगे, यह एक दम सत्य है। उन्होंने हमको छोड़ा या हमने उनको छोड़ा, इसमें क्या भेद है? … Read more